2010-12 के दौर में भारत का UCO बैंक आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, एक कुशल अर्थशास्त्री, इस संकट का समाधान तलाश रहे थे। उसी दौरान ईरान पर अमेरिका ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे, लेकिन भारत ने साहसिक फैसला लिया कि वह ईरान से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा। इस निर्णय के पीछे थी एक ऐसी रणनीति, जिसने न केवल UCO बैंक को संकट से उबारा, बल्कि भारत-ईरान की दोस्ती को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
UCO बैंक बना ईरान का 'एक्सक्लूसिव पेमेंट गेटवे':
डॉ. मनमोहन सिंह ने UCO बैंक को ईरान के साथ तेल व्यापार के लिए विशेष भुगतान गेटवे के रूप में चुना। भारत की रिफाइनरियां ईरान से तेल खरीदतीं और भुगतान UCO बैंक में जमा करतीं। खास बात यह थी कि यह पैसा 'ब्याज मुक्त' (इंटरेस्ट-फ्री) था, और यह सब ईरान की सहमति से संभव हुआ। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान को सीधे भुगतान करना असंभव था, इसलिए यह राशि UCO बैंक में जमा होती रही।
14,000 करोड़ की कमाई:
UCO बैंक में जमा होने वाला यह ब्याज-मुक्त पैसा हजारों करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बैंक ने इस राशि का निवेश किया और लगभग 14,000 करोड़ रुपये की कमाई की। 2014 के 14,000 करोड़ रुपये आज के समय में 50-60 हजार करोड़ रुपये के बराबर हैं। यह राशि ईरान ने भारत को बिना किसी शर्त के उपयोग करने की अनुमति दी थी। नतीजतन, घाटे में चल रहा UCO बैंक न केवल मुनाफे में आ गया, बल्कि इसके शेयरों की कीमत में भी जबरदस्त उछाल आया।
डॉ. सिंह और ईरान की साझा रणनीति:
यह पूरी रणनीति डॉ. मनमोहन सिंह ने ईरान की शीर्ष नेतृत्व के साथ मिलकर तैयार की थी। ईरान ने उदारता दिखाते हुए कहा कि अगर उनका पैसा भारत के विकास में काम आता है, तो यह उनकी खुशकिस्मती होगी। इस दोस्ती ने न केवल आर्थिक संकट को टरकाया, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास को और मजबूत किया।
ईरान का 'तोहफा' और भारत का कर्ज:
ईरान ने 14,000 करोड़ रुपये का यह 'तोहफा' भारत को दिया और कभी इसका जिक्र तक नहीं किया। यह उस दोस्ती का प्रतीक है, जो शब्दों से परे है। हर भारतीय इस उदारता और डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता का कर्जदार है। इस ऐतिहासिक दास्तान को याद रखना और भारत-ईरान की दोस्ती को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।
डॉ. मनमोहन सिंह का आशीर्वाद और उनकी रणनीतिक सोच, साथ ही ईरान की दोस्ती ने भारत को एक ऐसी आर्थिक उपलब्धि दी, जो इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। भारत-ईरान की दोस्ती जिंदाबाद!