यांगून: म्यांमार के शान राज्य में स्थित 125 साल पुराने ऐतिहासिक गोटेइक रेलवे ट्रेसल पुल का एक हिस्सा बारूदी सुरंगों के कारण ढह गया है। खबरों के अनुसार, पुल का लगभग दस मीटर का हिस्सा नष्ट हुआ है। यह पुल मांडले शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर उस क्षेत्र में स्थित है, जहां म्यांमार की सेना तैनात है और विद्रोही समूह सक्रिय हैं। गोटेइक पुल का निर्माण साल 1900 में हुआ था, और उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे ट्रेसल पुल माना जाता था। इस पुल के लिए स्टील के पुर्जे अमेरिका के पेंसिल्वेनिया से मंगवाए गए थे। ट्रेसल डिज़ाइन वाला यह पुल कई छोटे-छोटे हिस्सों से बना है, जो रेल लाइन को सहारा देने वाले फ्रेम पर टिका होता है। इसकी अनूठी संरचना और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह म्यांमार के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और इंजीनियरिंग धरोहर है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पुल को नुकसान बारूदी सुरंगों के विस्फोट से हुआ, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसके पीछे कौन ज़िम्मेदार है। इस क्षेत्र में सेना और विद्रोही समूहों के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है, और इस तरह की घटनाएं क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा सकती हैं। गोटेइक पुल न केवल एक महत्वपूर्ण यातायात मार्ग है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है। इसके क्षतिग्रस्त होने से स्थानीय यातायात और पर्यटन पर असर पड़ सकता है। म्यांमार प्रशासन ने अभी तक इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, और न ही यह बताया गया है कि पुल की मरम्मत के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। यह घटना म्यांमार में चल रहे संघर्षों और बुनियादी ढांचे पर उनके प्रभाव को उजागर करती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इतिहास प्रेमी इस ऐतिहासिक धरोहर को हुए नुकसान पर चिंता जता रहे हैं।