तेहरान: ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने साफ़ तौर पर कहा है कि अमेरिका के साथ मौजूदा तनाव का कोई "समाधान नहीं" है और ईरान अमेरिकी दबाव के आगे कभी नहीं झुकेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ईरान का परमाणु कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर तनाव का कारण बना हुआ है। पिछले जून में अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान की परमाणु साइटों पर किए गए हवाई हमलों के बाद, ईरान ने अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता को निलंबित कर दिया था। ख़ामेनेई ने अपने बयान में इस बात पर ज़ोर दिया कि ईरान अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। अगले हफ़्ते ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर यूरोपीय देशों—फ़्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी—के नेताओं के साथ ईरानी अधिकारियों की मुलाक़ात होने वाली है। इस बैठक में अमेरिका शामिल नहीं होगा। यूरोपीय देशों ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान परमाणु वार्ता में वापस नहीं लौटता, तो संयुक्त राष्ट्र के ज़रिए उस पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
इस बीच, ईरान ने होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है, जो वैश्विक तेल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान इस जलमार्ग को बंद करता है, तो इससे वैश्विक तेल बाज़ार में उथल-पुथल मच सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। दुनिया के लगभग 20-26% कच्चे तेल का परिवहन इसी मार्ग से होता है, और इसकी रणनीतिक अहमियत इसे वैश्विक व्यापार के लिए बेहद संवेदनशील बनाती है। ख़ामेनेई के इस बयान और होर्मुज़ जलडमरूमध्य को लेकर बढ़ती आशंकाओं ने मध्य पूर्व में तनाव को और गहरा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब इस बात पर नज़र रखे हुए है कि क्या ईरान और यूरोपीय देशों के बीच होने वाली बातचीत से कोई सकारात्मक नतीजा निकल पाएगा, या यह टकराव और बढ़ेगा।