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Tuesday, 5 August 2025

पुतिन का मास्टरस्ट्रोक: 38 साल पुरानी मिसाइल संधि तोड़ी, ट्रम्प की धमकी का जवाब

पुतिन का मास्टरस्ट्रोक: 38 साल पुरानी मिसाइल संधि तोड़ी, ट्रम्प की धमकी का जवाब
रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 38 साल पुरानी मिसाइल तैनाती संधि को रद्द कर दिया है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रूस के तटों के पास दो परमाणु पनडुब्बियां तैनात करने के आदेश के जवाब में आया है। रूस के इस कदम ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है, और अब सवाल उठ रहा है कि अमेरिका इसका जवाब कैसे देगा। 

1987 की INF संधि का अंत

वर्ष 1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के बीच इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस (INF) संधि हुई थी, जिसके तहत दोनों देशों ने 500 से 5,500 किलोमीटर रेंज वाली ग्राउंड-लॉन्च बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगाई थी। हालांकि, 2019 में अमेरिका इस संधि से बाहर निकल गया था। रूस के विदेश मंत्रालय ने 4 अगस्त 2025 को घोषणा की कि अब रूस भी इस प्रतिबंध से बंधा नहीं है, क्योंकि संधि को बनाए रखने की शर्तें पूरी हो चुकी हैं। मंत्रालय ने कहा, "अमेरिका की ओर से बार-बार की गई चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया। हमने तय किया था कि जब तक अमेरिका ऐसी मिसाइलें तैनात नहीं करता, हम भी ऐसा नहीं करेंगे। लेकिन अब अमेरिका की पनडुब्बी तैनाती के जवाब में हमने मिसाइल प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है।"


ट्रम्प और मेदवेदेव के बीच तीखी तकरार

 यह विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रम्प ने रूस से यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए 8 अगस्त तक की समय सीमा दी और रूस के व्यापारिक साझेदारों, जैसे भारत और चीन, पर कठोर प्रतिबंधों की धमकी दी। ट्रम्प ने भारत पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने की घोषणा की, क्योंकि भारत रूस से सैन्य उपकरण खरीद रहा है। इस बीच, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रम्प के इन अल्टीमेटम को "युद्ध की ओर कदम" करार दिया और रूस के "डेड हैंड" परमाणु प्रणाली का जिक्र किया, जो स्वचालित परमाणु जवाबी हमले की क्षमता रखती है। जवाब में, ट्रम्प ने 1 अगस्त 2025 को दो परमाणु पनडुब्बियों को "उपयुक्त क्षेत्रों" में तैनात करने का आदेश दिया, जिसे उन्होंने मेदवेदेव के "उकसावे भरे बयानों" का जवाब बताया।

रूस की प्रतिक्रिया और क्रेमलिन का रुख

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने ट्रम्प के इस कदम को कमतर आंकते हुए कहा कि अमेरिकी पनडुब्बियां पहले से ही युद्धक ड्यूटी पर हैं, और इसे परमाणु तनाव का बढ़ना नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने परमाणु बयानबाजी में सावधानी बरतने की सलाह दी। पेस्कोव ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस की विदेश नीति केवल पुतिन तय करते हैं, और मेदवेदेव के बयान आधिकारिक नीति को नहीं दर्शाते। रूस ने यह भी संकेत दिया कि वह बेलारूस में हाइपरसोनिक परमाणु-सक्षम ओरेश्निक मिसाइलें तैनात कर सकता है।


विवाद की जड़: यूक्रेन युद्ध और प्रतिबंध


ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में यूक्रेन-रूस युद्ध को 24 घंटे में खत्म करने का वादा किया था, लेकिन कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही। हाल ही में, ट्रम्प ने रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए समय सीमा को 50 दिन से घटाकर 10-12 दिन कर दिया। रूस ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वह स्थायी और ठोस शांति चाहता है, लेकिन यूक्रेन को नाटो से बाहर रखने और अपनी शर्तों पर ही बातचीत करेगा। इस बीच, रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं, जिसमें जुलाई में रिकॉर्ड संख्या में ड्रोन हमले और कीव पर हमले में 31 लोगों की मौत शामिल है।

आगे क्या?

रूस का INF संधि से बाहर निकलना और परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती दोनों देशों के बीच तनाव को नए स्तर पर ले जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प का कदम रणनीतिक संदेश है, लेकिन परमाणु युद्ध की आशंका कम है। रूस ने भी संयम बरतने की बात कही है, लेकिन उसकी मिसाइल तैनाती की योजना वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है। ट्रम्प के दूत स्टीव विटकॉफ 6 अगस्त को मॉस्को पहुंच सकते हैं, जो शांति वार्ता का आखिरी मौका हो सकता है। 

पुतिन का यह मास्टरस्ट्रोक ट्रम्प की धमकियों का जवाब है, लेकिन यह दोनों देशों को खतरनाक टकराव की ओर ले जा सकता है। विश्व समुदाय अब सांस रोके यह देख रहा है कि अमेरिका इस चुनौती का जवाब कैसे देता है।