उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली कस्बे में मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को एक भयानक प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी। खीर गंगा नदी के ऊपर बादल फटने से अचानक आई बाढ़ और मलबे ने पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया। इस आपदा में कस्बे का एक बड़ा हिस्सा सिल्ट और गाद के साथ बह गया, जिससे कई घर, होटल और दुकानें पूरी तरह तबाह हो गईं। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। कुछ अनुमानों में लापता लोगों की संख्या 60 तक बताई जा रही है। पानी और मलबे का तेज बहाव इतना विनाशकारी था कि मात्र 30-34 सेकंड में धराली बाजार और आसपास के कई ढांचे मिट्टी में मिल गए। वायरल वीडियो में दिख रहा है कि कैसे तेज बहाव के साथ मलबा और बड़े पत्थर कस्बे में घुस आए, जिससे लोगों में चीख-पुकार मच गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुट गई हैं। भारतीय सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 150 जवानों को घटनास्थल पर भेजा, जिन्होंने 10 मिनट के भीतर बचाव कार्य शुरू कर दिया। अब तक 15-20 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, और घायलों को हर्षिल के सेना चिकित्सा केंद्र में इलाज दिया जा रहा है। ऋषिकेश एम्स में भी बेड आरक्षित किए गए हैं ताकि घायलों को तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल सके। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और कहा, "धराली क्षेत्र में बादल फटने से हुए नुकसान का समाचार अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। राहत और बचाव कार्यों के लिए टीमें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीएम धामी से बात कर स्थिति का जायजा लिया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
धराली: गंगोत्री के रास्ते का अहम पड़ाव
धराली गांव, उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में समुद्र तल से 2,745 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गंगोत्री धाम के रास्ते में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस गांव में 137 परिवार और कुल 583 लोग रहते हैं। लेकिन इस आपदा ने गांव की खूबसूरती को मलबे के ढेर में बदल दिया।
बादल फटने का कारण और खतरा
मौसम विभाग ने उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी पहले ही जारी की थी। विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और अवैध निर्माण के कारण बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। गर्म और नम हवाओं का ठंडी पर्वतीय हवाओं से टकराना क्यूमुलोनिम्बस बादलों का निर्माण करता है, जो अचानक भारी बारिश का कारण बनते हैं। टिहरी बांध जैसे बड़े जलाशयों ने भी बादल बनने की प्रक्रिया को तेज किया है, जिससे ऐसी आपदाएं और घातक हो रही हैं।
आगे की चुनौतियां
धराली में सड़क संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, और गंगोत्री धाम जिला मुख्यालय से कट गया है। मौसम विभाग ने 10 अगस्त तक भारी बारिश की संभावना जताई है, जिसके चलते प्रशासन हाई अलर्ट पर है स्थानीय लोगों को नदियों से दूरी बनाए रखने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। यह आपदा उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की आवश्यकता को रेखांकित करती है। प्रभावित परिवारों के लिए राहत और पुनर्वास के साथ-साथ भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
क्या आप यकीन करेंगे कि यहां सुबह 5:00 तक एक गांव था सैकड़ो पक्के मकान थे और मानवीय जीवन भी था और अब कुछ नहीं सब कुछ शांत प्रकृति सबको अपने साथ बहा कर ले गई मकान जानवर मनुष्य
क्या ये प्राकृतिक नहीं, मानव निर्मित आपदा है?