सर्गेई विक्टरोविच लावरोव (Sergey Viktorovich Lavrov), जिनका जन्म 21 मार्च 1950 को मॉस्को में हुआ, रूस के विदेश मंत्री के रूप में 2004 से सेवा दे रहे हैं। वे रूस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक विदेश मंत्री के पद पर कार्यरत रहने वाले व्यक्ति हैं, जिन्होंने सोवियत युग के बाद के रूस में यह रिकॉर्ड बनाया है। उनका 21 वर्ष से अधिक का कार्यकाल, जिसे केवल सोवियत युग के विदेश मंत्री आंद्रेई ग्रोमिको (28 वर्ष) ने पीछे छोड़ा है, उनकी कूटनीतिक कुशलता और रूस की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। लावरोव का दमदार कार्यकाल रूस के वैश्विक मंच पर प्रभाव को मजबूत करने, जटिल भू-राजनीतिक संकटों को संभालने और रूस के हितों की दृढ़ता से रक्षा करने के लिए जाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा लावरोव का जन्म मॉस्को या त्बिलिसी (जॉर्जिया) में हुआ था, हालांकि इस बारे में कुछ विवाद है। उनके पिता, विक्टर गैब्रिएलोविच कलंतरोव, आर्मेनियाई मूल के थे और विदेश व्यापार में कार्यरत थे, जबकि उनकी मां, कालेरिया बोरिसोव्ना, सोवियत विदेश व्यापार मंत्रालय में कार्य करती थीं। लावरोव का पालन-पोषण उनके नाना-नानी ने नोगिन्स्क, मॉस्को ओब्लास्ट में किया, जहां उन्होंने अंग्रेजी में विशेषज्ञता के साथ स्कूली शिक्षा पूरी की। 1972 में, लावरोव ने मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस (MGIMO) से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्नातक की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने सिन्हाला (श्रीलंका की भाषा), धिवेही (मालदीव की भाषा), अंग्रेजी और फ्रेंच जैसी भाषाएं सीखीं, जो उनकी कूटनीतिक यात्रा में महत्वपूर्ण साबित हुईं। अपनी पढ़ाई के दौरान, उन्होंने ओस्तांकिनो टॉवर के निर्माण में भी हिस्सा लिया और विश्वविद्यालय के नाटक प्रदर्शनों में सक्रिय रहे।
कूटनीतिक करियर की शुरुआत लावरोव ने 1972 में सोवियत दूतावास में श्रीलंका में अपनी कूटनीतिक यात्रा शुरू की, जहां उन्होंने सलाहकार, अनुवादक और सहायक के रूप में काम किया। उनकी भाषाई क्षमता और श्रीलंका की संस्कृति की गहरी समझ ने सोवियत-स श्रीलंका संबंधों को मजबूत करने में मदद की। 1976 में मॉस्को लौटने के बाद, वे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध विभाग में कार्यरत रहे और 1981 से 1988 तक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में सोवियत स्थायी मिशन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्य किया। 1992 में, वे रूसी विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय संगठनों और वैश्विक मुद्दों के विभाग के निदेशक बने और उसी वर्ष उप विदेश मंत्री के रूप में पदोन्नत हुए। 1994 से 2004 तक, लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में सेवा दी, जहां उन्होंने कोसोवो युद्ध और इराक पर आक्रमण जैसे संकटों के दौरान रूस के हितों की दृढ़ता से रक्षा की। इस दौरान वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में सात बार (1995-2003) सेवा दे चुके हैं।
विदेश मंत्री के रूप में कार्यकाल 9 मार्च 2004 को, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने लावरोव को विदेश मंत्री नियुक्त किया, जो इगोर इवानोव के उत्तराधिकारी थे। तब से, लावरोव ने पुतिन और दिमित्री मेदवेदेव के प्रशासन में अपनी स्थिति बरकरार रखी है। 2025 तक, वे 21 वर्षों से अधिक समय तक इस पद पर बने हुए हैं, जिससे वे रूस के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले विदेश मंत्री बन गए हैं।
लावरोव का कार्यकाल रूस की विदेश नीति को दिशा देने में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने सीरिया के गृहयुद्ध में रूस की भूमिका को मजबूत किया, जहां उन्होंने बशर अल-असद सरकार का समर्थन किया और रासायनिक हथियारों को हटाने के लिए समझौते किए। यूक्रेन संकट में, उन्होंने 2014 से रूस की स्थिति का बचाव किया, जिसमें क्रीमिया के विलय और नाटो के विस्तार के खिलाफ रूस के रुख को स्पष्ट किया। लावरोव ने ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर रूस के बहुध्रुवीय विश्व के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है।
विवाद और आलोचनाएं लावरोव की कूटनीति को उनके समर्थक उनकी दृढ़ता और रणनीतिक बुद्धिमत्ता के लिए सराहते हैं, लेकिन पश्चिमी देशों ने उनकी आक्रामक शैली और रूस की नीतियों के प्रति अटल समर्थन के लिए आलोचना की है। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने उनके साथ बातचीत को असहज बताया, जबकि ओबामा प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें "असहयोगी" और "कठोर" करार दिया। 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, लावरोव पर कई देशों ने व्यक्तिगत प्रतिबंध लगाए। 2018 में सैलिसबरी जहर कांड के बाद, उन्होंने रूस पर लगे आरोपों का कड़ा जवाब दिया, जिससे उनकी "मिस्टर नो" की छवि और मजबूत हुई।
व्यक्तिगत जीवन और सम्मान लावरोव ने 1971 में मारिया लावरोवा से शादी की और उनकी एक बेटी, एकातेरिना, और दो पोते-पोतियां हैं। वे निजी जीवन में अपेक्षाकृत कम प्रचारित रहते हैं और फुटबॉल के शौकीन हैं, विशेष रूप से स्पार्टक मॉस्को के समर्थक। उन्हें रूस के सर्वोच्च सम्मान, ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल द फर्स्ट-कॉल्ड (2025), हीरो ऑफ लेबर ऑफ रशियन फेडरेशन और कई अन्य पुरस्कार मिले हैं।
लावरोव की विरासत लावरोव ने रूस की विदेश नीति को एक मजबूत, मुखर और बहुध्रुवीय दृष्टिकोण दिया है। उनकी कूटनीति ने रूस को सीरिया, यूक्रेन और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में प्रभावशाली बनाया है। हालांकि, उनकी आलोचनाएं, विशेष रूप से पश्चिमी देशों से, उनकी छवि को ध्रुवीकृत करती हैं। फिर भी, उनकी व्यावसायिकता और कूटनीतिक कौशल ने उनके विरोधियों से भी सम्मान अर्जित किया है।
सर्गेई लावरोव का कार्यकाल रूस की आधुनिक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनकी भाषाई कुशलता, ऐतिहासिक ज्ञान और रणनीतिक दृष्टिकोण ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाया है। चाहे प्रशंसा हो या आलोचना, लावरोव की विरासत रूस की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए हमेशा याद की जाएगी।
S.B.Nayani