Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Sunday, 3 August 2025

'द केरल स्टोरी' को राष्ट्रीय पुरस्कार: FTII छात्रों का कड़ा विरोध, फिल्म को बताया 'प्रचार का हथियार'

'द केरल स्टोरी' को राष्ट्रीय पुरस्कार: FTII छात्रों का कड़ा विरोध, फिल्म को बताया 'प्रचार का हथियार'
पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) के छात्र संगठन ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2023 में 'द केरल स्टोरी' को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी का पुरस्कार दिए जाने के फैसले की कड़ी निंदा की है। छात्रों ने इसे न केवल निराशाजनक, बल्कि खतरनाक कदम करार दिया है। FTII छात्र संगठन ने अपने बयान में कहा, "सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसी फिल्मों को पुरस्कृत करेगी जो उसके बहुसंख्यकवादी और नफरत फैलाने वाले एजेंडे का समर्थन करती हैं। 'द केरल स्टोरी' कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक हथियार है। यह एक झूठा नैरेटिव पेश करती है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और केरल जैसे राज्य को गलत तरीके से पेश करना है, जो हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द, शिक्षा और प्रतिरोध का प्रतीक रहा है।"


छात्रों ने आगे कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि प्रचार को पुरस्कार देने से वह सत्य नहीं बन जाता। संगठन ने फिल्म को इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि यह फिल्म केरल की धर्मनिरपेक्ष परंपराओं का अपमान करती है। 

'द केरल स्टोरी' को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। 2023 में रिलीज के समय फिल्म के ट्रेलर में दावा किया गया था कि केरल की 32,000 महिलाएं लापता हुईं और ISIS में शामिल हुईं, जिसे बाद में व्यापक आलोचना और कानूनी चुनौतियों के बाद हटा लिया गया। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी पुरस्कार के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि यह फिल्म सांप्रदायिक नफरत फैलाने और केरल की छवि को धूमिल करने का प्रयास करती है।

FTII छात्र संगठन के अध्यक्ष गीतांजलि साहू और महासचिव बार्शा दासगुप्ता ने बयान में जोर देकर कहा कि यह पुरस्कार सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले नैरेटिव को वैधता प्रदान करता है, जो भारतीय सिनेमा की एकता और राष्ट्रीय एकीकरण की परंपरा के खिलाफ है।

द केरल स्टोरी' को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने से न केवल FTII छात्रों, बल्कि केरल के राजनीतिक नेताओं और सांस्कृतिक संगठनों में भी रोष है। यह विवाद सिनेमा के दुरुपयोग और कला को सांप्रदायिक एजेंडे के लिए हथियार बनाने के गंभीर सवाल उठाता है।