Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Friday, 12 September 2025

इलारा इंडिया कांड: भारतीय रक्षा क्षेत्र में मॉरीशस की शेल कंपनियों की घुसपैठ, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल

इलारा इंडिया कांड: भारतीय रक्षा क्षेत्र में मॉरीशस की शेल कंपनियों की घुसपैठ, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल
नई दिल्ली: मार्च 2023 में भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच ने खुलासा किया था कि भारत के रक्षा क्षेत्र में मॉरीशस से संचालित संदिग्ध कंपनियों की गहरी पैठ हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, इलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड (Elara India Opportunities Fund), जो मॉरीशस में रजिस्टर्ड एक वेंचर कैपिटल फंड है, अडानी ग्रुप के साथ मिलकर बेंगलुरु स्थित डिफेंस कंपनी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (ADTPL) में प्रमोटर शेयर रखती है। ADTPL इसरो, डीआरडीओ और रक्षा मंत्रालय के साथ काम करती है, और 2020 में इसने मिसाइल व रडार सिस्टम अपग्रेड के लिए 590 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था। यह खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर जब इलारा कैपिटल जैसी शेल कंपनियां अडानी ग्रुप में भारी निवेश कर चुकी हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड (Elara IOF) इलारा कैपिटल द्वारा मैनेज किया जाता है, जो मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। दिसंबर 2022 तक, इलारा का लगभग 96% कॉर्पस (कुल निवेश का 99% से अधिक, यानी 24,766 करोड़ रुपये) अडानी ग्रुप की कंपनियों में लगा हुआ था। रिपोर्ट में पाया गया कि इलारा केवल एक निवेशक नहीं है, बल्कि यह ADTPL में अडानी के साथ को-ओनर है। ADTPL 2003 में स्थापित हुई कंपनी है, जो सैटेलाइट इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, मिलिट्री कम्युनिकेशन और एयरोस्पेस असेंबली में काम करती है। कंपनी ने भारतीय वायुसेना के लिए MiG-29 सिमुलेटर विकसित किया है और आर्मी के लिए लाइटवेट रेडियो रिले (LWRR) सिस्टम सप्लाई किया है। इसके अलावा, यह इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) की पहली भारतीय ऑफसेट पार्टनर है, जिसने 66 एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार आर्मी को डिलीवर किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ADTPL की 51.65% हिस्सेदारी अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (26%) और इलारा से जुड़ी इकाई वासका प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (25.65%) के पास है। वासका प्रमोटर्स इलारा से लिंक्ड है, जो मॉरीशस टैक्स हैवन से ऑपरेट होती है। अडानी ग्रुप ने 2017 में ADTPL में निवेश किया था ताकि डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स और एयरो-स्ट्रक्चर्स कैपेबिलिटी हासिल की जा सके। हालांकि, इलारा का इतिहास संदिग्ध है – यह उन चार प्रमुख मॉरीशस फंड्स में से एक है जो अडानी कंपनियों में प्रमुख शेयरहोल्डर हैं। पिछले तीन वर्षों में इलारा ने प्रॉफिट बुकिंग के कारण अडानी में अपनी होल्डिंग घटाई है, लेकिन अभी भी तीन अडानी कंपनियों में 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है। यह मामला तब और जटिल हो जाता है जब हम हिंडनबर्ग रिसर्च की जनवरी 2023 की रिपोर्ट को देखते हैं, जिसमें अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन, अकाउंटिंग फ्रॉड और 38 शेल कंपनियों के जरिए काला धन लॉन्डरिंग के आरोप लगाए गए थे। 
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि इनमें से कई शेल कंपनियां मॉरीशस, यूएई, सिंगापुर और कैरिबियन द्वीपों में हैं, जो विनोद अडानी (गौतम अडानी के भाई) या उनके करीबियों द्वारा कंट्रोल की जाती हैं। इलारा कैपिटल को इनमें प्रमुख बताया गया, जो स्टॉक पार्किंग, मैनिपुलेशन और लिस्टेड कंपनियों के बैलेंस शीट पर फर्जी फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल होती है। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभी निवेश कानूनी हैं और SEBI नियमों का पालन किया गया है। लेकिन हिंडनबर्ग ने इसे "कॉर्पोरेट हिस्ट्री का सबसे बड़ा घोटाला" करार दिया, जिसके बाद अडानी कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 100 बिलियन डॉलर से अधिक गिर गया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "भारत का मिसाइल व रडार अपग्रेड कॉन्ट्रैक्ट अडानी और संदिग्ध फॉरेन एंटिटी इलारा को दिया गया। इलारा को कौन कंट्रोल करता है? राष्ट्रीय सुरक्षा क्यों खतरे में डाली जा रही है?" तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा, "अज्ञात फॉरेन फंड्स संवेदनशील डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स कंट्रोल कर रहे हैं।" शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे "अमेजिंग कोइंसिडेंस" बताया। विपक्ष ने सवाल उठाया कि मॉरीशस जैसी टैक्स हैवन से चलने वाली कंपनियां रक्षा क्षेत्र में कैसे घुस आईं? क्या इनमें चीनी या पाकिस्तानी फंड्स का निवेश है? SEBI और रक्षा मंत्रालय की जांच क्यों ठप है? रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शेल कंपनियों की घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। मॉरीशस को काला धन का स्वर्ग माना जाता है, जहां बेनिफिशियल ओनरशिप छिपाई जा सकती है। भारत सरकार ने 2017 से शेल कंपनियों पर टास्क फोर्स बनाई है, लेकिन 300,000 से अधिक संदिग्ध इकाइयों की पहचान के बावजूद कार्रवाई कम है। अडानी डिफेंस ने कहा कि सभी पार्टनरशिप ट्रांसपेरेंट हैं, लेकिन रिपोर्ट्स में विसंगतियां दिखाई देती हैं। क्या यह केवल वित्तीय भ्रष्टाचार है या देश की सुरक्षा को दांव पर लगाने वाला सौदा? सवाल बाकी हैं, और जांच की मांग तेज हो रही है।