देहरादून: उत्तराखंड के देहरादून जिले के सहसपुर ब्लॉक में सोमवार (15 सितंबर 2025) को भारी बारिश के बाद टोंस नदी में अचानक आई बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई। इस हादसे में बजरी खनन का काम कर रहे आठ मजदूरों की मौत हो गई। यह घटना परवल क्षेत्र में सुबह करीब 7 बजे हुई, जब 14 मजदूर, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, नदी से बजरी निकालने और छानने का काम कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भारी बारिश के कारण नदी में अचानक पानी का तेज बहाव आया। मजदूरों ने बचने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन बहाव इतना तेज था कि ट्रॉली पलट गई और सभी लोग पानी में बह गए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, "यह हादसा मेरे सामने हुआ। नदी किनारे खनन का काम अक्सर नियमों को ताक पर रखकर होता है। मजदूर रोजगार के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।"
रेस्क्यू ऑपरेशन और स्थिति घटना की सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और जिला पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। एसडीआरएफ ने पांच शव बरामद किए, जबकि जिला पुलिस ने तीन शव निकाले। दो मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया। एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है, क्योंकि कुछ और लोग लापता हो सकते हैं।
अवैध खनन का सवाल यह हादसा नदी किनारे अवैध खनन की समस्या को भी उजागर करता है। स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि टोंस नदी में बजरी खनन का काम अक्सर बिना उचित अनुमति और सुरक्षा उपायों के होता है। मजदूरों को खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी जान को खतरा रहता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और मामले की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे यह हादसा हुआ। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। यह घटना न केवल प्राकृतिक आपदा की भयावहता को दर्शाती है, बल्कि अवैध खनन और मजदूरों की सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियमों और उनकी प्रभावी निगरानी की जरूरत है।