थाईलैंड की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को एक साल की जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला एक पुराने भ्रष्टाचार मामले से संबंधित है, जिसने देश के प्रभावशाली शिनावात्रा परिवार को एक और राजनीतिक आघात पहुंचाया है। अदालत ने पाया कि थाकसिन ने अपनी पिछली सजा का हिस्सा गैरकानूनी ढंग से अस्पताल में बिताया था, इसलिए अब उन्हें यह सजा जेल में पूरी करनी होगी। 2001 से 2006 तक थाईलैंड के प्रधानमंत्री रहे थाकसिन को 2006 में सैन्य तख्तापलट के बाद दुबई में निर्वासित होना पड़ा था। 2023 में उनकी वापसी पर भ्रष्टाचार के आरोपों में उन पर मुकदमा चला, जिसके तहत उन्हें आठ साल की सजा सुनाई गई थी। बाद में शाही माफी के जरिए उनकी सजा को घटाकर एक साल कर दिया गया। हालांकि, थाकसिन ने जेल में समय नहीं बिताया और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर छह महीने अस्पताल में रहे, जिसके बाद उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया कि अस्पताल में बिताया गया समय उनकी सजा का हिस्सा नहीं माना जाएगा। इस फैसले ने थाईलैंड की राजनीति में शिनावात्रा परिवार के दबदबे को एक और चुनौती दी है, जो लंबे समय से देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। थाकसिन की बेटी, पेटोंगटार्न शिनावात्रा, जो हाल ही में प्रधानमंत्री थीं, को भी अदालत के आदेश पर पद छोड़ना पड़ा था। अदालत ने पाया कि उन्होंने कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के साथ एक लीक फोन कॉल मामले में नैतिकता के मानदंडों का उल्लंघन किया। इस घटना ने शिनावात्रा परिवार की राजनीतिक साख को और कमजोर किया है। थाकसिन की लोकप्रिय नीतियों ने उन्हें ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग में व्यापक समर्थन दिलाया था, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप और सैन्य हस्तक्षेप ने उनकी सत्ता को बार-बार चुनौती दी। यह ताजा फैसला थाईलैंड की जटिल राजनीतिक स्थिति को और उजागर करता है, जहां सत्ता, कानून और प्रभाव का खेल लगातार बदल रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि यह सजा थाकसिन और उनके परिवार के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब थाईलैंड पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य-नागरिक तनावों से गुजर रहा है।
थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को एक साल की कैद: भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश बैंकॉक: