अमेरिका में शनिवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कथित तानाशाही रवैये के खिलाफ अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन हुए। पूरे देश के 2,700 से अधिक शहरों और कस्बों में लाखों-करोड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, जो अमेरिकी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा एकदिवसीय प्रदर्शन माना जा रहा है। आयोजकों के अनुसार, करीब 70 लाख लोग इसमें शामिल हुए, जो जून में हुए पहले 'नो किंग्स' प्रदर्शन से दोगुने से अधिक हैं। यह आंदोलन ट्रंप प्रशासन की नीतियों—जैसे कठोर आव्रजन कार्रवाई, नेशनल गार्ड की तैनाती और संविधान की अनदेखी—के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया। 'नो किंग्स' आंदोलन का यह दूसरा चरण था, जो प्रगतिशील संगठनों जैसे इंडिविजिबल, मूवऑन और अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (एसीएलयू) द्वारा समन्वित किया गया। जून में ट्रंप के जन्मदिन पर हुए पहले प्रदर्शन में करीब 50 लाख लोग शामिल हुए थे, लेकिन इस बार की भागीदारी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। प्रदर्शनकारियों का मुख्य संदेश साफ था: अमेरिका में कोई राजा नहीं चलेगा। वे ट्रंप को लोकतंत्र में राजा की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए सड़कों पर उतरे, जहां उन्होंने अमेरिकी झंडे लहराए, संगीत बजाया और रंग-बिरंगे कॉस्ट्यूम पहनकर विरोध जताया। न्यूयॉर्क शहर में टाइम्स स्क्वायर पर 1,00,000 से अधिक लोग जमा हुए। उनके हाथों में 'हेट अमेरिका को ग्रेट नहीं बनाएगा', 'आईसीई को शहर से बाहर भगाओ', 'संविधान की रक्षा करो', 'डेमोक्रेसी, नॉट मोनार्की' और 'संविधान वैकल्पिक नहीं है' जैसे नारे लिखे पोस्टर थे। एक प्रदर्शनकारी, टोनी चार्ली ने कहा, "अमेरिका में प्रवास एक परंपरा है। प्रवासी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। आईसीई अपराधियों के पीछे नहीं, बल्कि मेहनती और निर्दोष लोगों के पीछे पड़ रही है, जो इस देश को मजबूत बना रहे हैं।" शहर के पांचों बोरोज में कुल 1,00,000 से ज्यादा लोग सड़कों पर थे, जहां माहौल मेले जैसा था—फ्लैशिंग साइन बोर्ड और इन्फ्लेटेबल फ्रॉग कॉस्ट्यूम पहने लोग ट्रंप की आलोचना कर रहे थे। सैन फ्रांसिस्को में करीब 50,000 लोग प्रशासन की आव्रजन नीतियों और हाल ही में कई शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती के खिलाफ उतरे। ओशन बीच पर प्रदर्शनकारियों ने मानव बैनर बनाकर 'नो किंग्स' का संदेश दिया। पोर्टलैंड में तीन अलग-अलग मार्च एक हो गए, जहां स्थानीय शिक्षक शॉनाथन थिबोडॉक्स ने कहा, "हम दिखाना चाहते हैं कि यह कोई युद्ध क्षेत्र नहीं है। ट्रंप की नीतियां लोकतंत्र को कमजोर कर रही हैं।" शिकागो में 22 ब्लॉक लंबा मार्च निकला, जबकि लॉस एंजिल्स से लेकर बोस्टन तक सड़कें प्रदर्शनकारियों से पट गईं। वाशिंगटन डीसी में बर्नी सैंडर्स जैसे नेता शामिल हुए, जिन्होंने कहा, "यह सिर्फ एक व्यक्ति की लालच या भ्रष्टाचार की बात नहीं, बल्कि संविधान के प्रति अवमानना है।" प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे, कोई बड़ी गिरफ्तारी नहीं हुई। आयोजकों ने डी-एस्केलेशन ट्रेनिंग दी थी, और पुलिस ने भी सहयोग किया। हालांकि, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक एआई वीडियो पोस्ट कर प्रदर्शनकारियों का मजाक उड़ाया, जिसमें उन्होंने खुद को 'किंग ट्रंप' जेट उड़ाते दिखाया और प्रदर्शन पर कचरा गिराते हुए चित्रित किया। ट्रंप ने दावा किया कि प्रदर्शन "छोटे और अप्रभावी" थे तथा जॉर्ज सोरस द्वारा फंडेड। लेकिन आयोजक लीया ग्रीनबर्ग ने कहा, "यह लाखों अमेरिकियों की आवाज है कि लोकतंत्र लोगों का है, किसी एक व्यक्ति का नहीं।" यह प्रदर्शन सरकारी शटडाउन के बीच हुए, जहां रिपब्लिकन ट्रंप की नीतियों का बचाव कर रहे हैं। डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह ट्रंप की 'अवैध' कार्रवाइयों के खिलाफ जन-आंदोलन है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह आधुनिक अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा विरोध है, जो ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में लोकतंत्र बचाने की मुहिम को नई गति देगा। दुनिया भर में भी कुछ शहरों में समर्थन रैलियां हुईं, जैसे रोम में डेमोक्रेट्स अब्रॉड द्वारा। अमेरिका में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं, लेकिन ऐसे प्रदर्शन साबित करते हैं कि नागरिक अपनी आवाज बुलंद करने से पीछे नहीं हटेंगे। 'नो किंग्स' सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक वादा है—कि कोई भी व्यक्ति संविधान से ऊपर नहीं।
ट्रंप के तानाशाही रवैये के खिलाफ ऐतिहासिक विद्रोह: अमेरिका भर में 70 लाख से अधिक लोगों का 'नो किंग्स' प्रदर्शन