उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यदि इसमें धार्मिक यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है। प्रमुख पर्यटक स्थलों की स्थिति तो यह है कि वे साल में सौ दिन से अधिक पैक रहते हैं।
लेकिन पर्यटक स्थलों की सड़कों की स्थिति अच्छी न होने से पर्यटकों की मुश्किल बढ़ रही है। संकरी और खराब सड़कों की वजह से पर्यटक आए दिन जाम में फंस रहे हैं। इससे पर्यटक स्थलों के साथ ही राज्य की छवि खराब हो रही है। पेश है ‘हिन्दुस्तान’ की रिपोर्ट।
नैनीताल:नैनीताल में सड़कों की हालत खस्ता है। पर्यटक नैनीताल में हल्द्वानी से प्रवेश करें या कालाढूंगी, भीमताल-भवाली से। बदलहाल सड़कें आनंद में खलल डालती ही हैं। हल्द्वानी से नैनीताल 34 किमी का सफर तय करने में 3-4 घंटे लग जाते हैं। हल्द्वानी-नैनीताल सड़क पर 13 से अधिक डेंजर जोन हैं। हल्द्वानी से भीमताल-भवाली पहुंचने में भी चार डेंजर जोन हैं। इस मार्ग पर बन रहा रानीबाग पुल तय तिथि के 3 ंमाह बाद भी नहीं बना है। नैनीताल में मुख्य सड़कों का सुधारीकरण 5 वर्षों से नहीं हुआ है। पिछले आपदा काल में बदहाल सड़कों के लिए एचएन ने 3.50 करोड़ बजट मांगा है लेकिन अभी कुछ नहीं मिला।
मुनस्यारी:हिमनगरी मुनस्यारी में चार साल से नई सड़कें नहीं बनी हैं। बदहाल सड़कों पर पर्यटकों की फजीहत होती है। कई बार पर्यटकों को आधे रास्ते से लौटना पड़ रहा है। मुनस्यारी के साथ पिथौरागढ़ तक पहुंचना भी कम बड़ी चुनौती नहीं है। प्रचार के लिए टनकपुर से पिथौरागढ़ तक ऑल वेदर रोड बन चुकी है। इस मानसून सीजन में ही सड़क अब तक 21 बार बंद हो चुकी है। अधिकतम 33 घंटे तक सड़क बंद रही और लोगों को रास्ता बदलना पड़ा। टनकपुर से पिथौरागढ़ 150 किमी की सड़क में 20 से अधिक डेंजर जोन हैं।
लैंसडौन:लैंसडौन में सिंगल लेन सड़क पर्यटकों के लिए मुश्किलों का सबब बनती है। दिल्ली से नजदीक होने की वजह से यहां पर पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। तकरीबन दो से तीन लाख पर्यटक यहां सालना पहुंच रहे हैं। लेकिन आज भी उन्हें आजादी से पहले बनी सिंगल लेन सड़क से गुजरना पड़ता है और सड़क की स्थिति भी खासी खराब है।