अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल मास्को पहुंचे। वहां अफगानिस्तान को लेकर नौ देशों के एनएसए की बैठक में शामिल हुए। बाद में उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ अलग से बैठक हुई। आधिकारिक तौर पर यह बैठक द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को लेकर थी।
यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के बारे में पश्चिमी देशों के रवैए को देखते हुए भारत की ताजा कवायद के दूरगामी उद्देश्य माने जा रहे हैं। दूसरे, आतंकवाद के मोर्चे पर अफगानिस्तान को लेकर भारत हमेशा से चिंता में रहा है। वहां की मौजूदा तालिबान सरकार के रवैए पर भारत नजर रख रहा है। मास्को में हुई अफगानिस्तान सुरक्षा वार्ता के बाद डोभाल ने बयान दिया कि भारत वहां के लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ेगा।
साथ ही, भारत चाहेगा कि आतंक के लिए अफगानिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल न होने दे। मास्को बैठक में मेजबान देश रूस के प्रतिनिधियों के अलावा ईरान, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, चीन, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ। पाकिस्तान ने तर्क था कि वहां अफगानिस्तान में शांति कायम करने के लिए सकारात्मक वार्ता नहीं हुई, क्योंकि यह वार्ता अफगानिस्तान को लेकर ‘मास्को फार्मेट’ का हिस्सा नहीं थी।