तेहरान ने उन मीडिया रिपोर्टों को पूरी तरह से बेबुनियाद क़रार दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि ईरान और अमरीका परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक अंतरिम समझौते के बहुत निकट पहुंच चुके हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि ईरान और अमरीका एक अंतरिम समझौते के निकट हैं, जिसके तहत शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में बदलाव के बदले उसके ख़िलाफ़ लगे एकपक्षीय प्रतिबंधों से उसे कुछ राहत दी जा सकती है।
लंदन स्थित मिडिल ईस्ट आई वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि यूरेनियम संवर्धन और तेल निर्यात को लेकर तेहरान और वाशिंगटन समझौते के निकट पहुंच चुके हैं। इसके लिए ईरान के मामलों में अमरीकी प्रतिनिधि रॉबर्ट मैली और राष्ट्र संघ में ईरान के राजदूत अमीर सईद इरवानी के बीच सीधे बातचीत हुई है।
ईरान और अमरीका के बीच सीधे बातचीत का दावा ऐसी स्थित में किया गया है, जब ईरान ने हमेशा सीधे अमरीका के साथ बातचीत के हर प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और वह आज भी अपनी इस नीति पर डटा हुआ है।
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि परमाणु समझौते में अमरीका की वापसी के लिए बातचीत के बंद होने के बाद, दोनों देश सीधे बातचीत द्वारा एक अंतरिम समझौते के निकट पहुंच गए हैं।
2015 में ईरान और 5+1 के बीच परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन 2018 में अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इस समझौते से बाहर निकलने का एलान करते हुए ईरान के ख़िलाफ़ एक बार फिर पहले से भी ज़्यादा कड़े प्रतिबंधों की घोषणा कर दी थी। ईरान ने भी जवाबी कार्यवाही करते हुए अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम में विस्तार करना शुरू कर दिया।
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के सत्ता संभालने के बाद उनके अनुरोध पर अप्रैल 2021 से एक बार फिर परमाणु समझौते में वाशिंगटन की वापसी को लेकर वार्ता शुरू हुई, लेकिन व्हाइट हाउस की ओर से फिर से समझौते का उल्लंघन नहीं करने की गारंटी नहीं दिए जाने के बाद, यह बातचीत रुक गई।
गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरानी मिशन ने एक बयान जारी करके कहाः परमाणु समझौते की जगह, किसी तरह का कोई अंतरिम समझौता नहीं हुआ है और ऐसा कोई समझौता एजेंडे में भी नहीं है।
इसके अलावा गुरुवार को ही व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता ने भी मीडिल ईस्ट आई वेबसाइट की रिपोर्ट को झूठा और भ्रामक बताते हुए ख़ारिज कर दिया।
दर असल, बाइडन प्रशासन ने परमाणु समझौते में वापसी की रूची तो दिखाई, लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा कोई क़दम नहीं उठाया, जिससे यह साबित होता हो कि वह वास्तव में इसके लिए गंभीर है और वाशिंगटन भविष्य में समझौते का सम्मान करेगा। बाइडन प्रशासन ने परमाणु वार्ता को मौजूदा गतिरोध से बाहर निकालने के लिए भी कुछ नहीं किया है, बल्कि इसके विपरीत इस दौरान इस्लामी गणतंत्र ईरान के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों में वृद्धि की है। msm