भारत और अमेरिका ने हथियारों और उपकरणों की लंबे समय तक आपूर्ति व्यवस्था के लिए दो अहम समझौते पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया है. दोनों देशों ने सैन्य मंचों और उपकरणों का साथ मिलकर विकास करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को उच्च प्राथमिकता देने के वास्ते रक्षा औद्योगिक सहयोग की महत्वाकांक्षी रूपरेखा तय की. दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा के लिए एक ढांचे और एक पारस्परिक रक्षा खरीद समझौते पर बातचीत शुरू करने का भी फैसला किया, जो लंबी अवधि की आपूर्ति श्रृंखला स्थिरता को बढ़ावा देगा.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाशिंगटन में राजकीय यात्रा से ठीक 2 हफ्ते पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्षीय लॉयड ऑस्टिन के बीच बातचीत हुई. इस दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए नए ढांचे को अंतिम रुप दिया गया. ये कदम रूस-यूक्रेन युद्ध और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि में उठाया गया है.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि भारत-यूएस सहयोग मायने रखता है, ‘‘क्योंकि हम सभी तेजी से बदलती दुनिया देख रहे हैं. हम चीन की दादागीरी और जबरदस्ती तथा यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता देख रहे हैं.’’ इस संबंध में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने कहा कि पहल का उद्देश्य अमेरिका और भारतीय रक्षा क्षेत्रों के बीच सहयोग के लिए 'प्रतिमान' को बदलना है, जिसमें विशिष्ट प्रस्तावों की एक कड़ी का कार्यान्वयन शामिल है, जो भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्रदान कर सकता है और इसकी रक्षा आधुनिकीकरण योजनाओं का समर्थन कर सकता है.
पीटीआई के मुताबिक, ऐसी जानकारी है कि राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री ने लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने के जनरल इलेक्ट्रिक के प्रस्ताव और अमेरिकी रक्षा उपकरण कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक से 3 अरब अमेरिकी डॉलर के 30 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा की. जेट इंजन सौदे की घोषणा पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान की जा सकती है. मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों परियोजनाएं उस प्रारूप का हिस्सा होंगी जो खुफिया जानकारी साझा करने, निगरानी और टोह, युद्धक सामग्री तथा समुद्री क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेगी.