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Friday, 15 November 2024

मणिपुर फिर हिंसा की चपेट में, कैसे एक संवेदनशील इलाक़े तक पहुँची जातीय संघर्ष की आँच

मणिपुर फिर हिंसा की चपेट में, कैसे एक संवेदनशील इलाक़े तक पहुँची जातीय संघर्ष की आँच
मणिपुर में पिछले साल 3 मई को हिंसा की शुरुआत हुई थी. हाल ही में कुकी और मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच शांति वार्ता हुई लेकिन एक बार फिर हिंसा तेज़ हो गई

भारत का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में है.

अक्तूबर से शुरू हुई छिटपुट हिंसा की घटनाएँ उस समय और तेज़ हो गईं, जब 11 नवंबर को सुरक्षाकर्मियों के साथ कथित मुठभेड़ में 10 हथियारबंद संदिग्ध चरमपंथी मारे गए.

इस घटना के बाद जिरीबाम से लेकर इंफाल वेस्ट ज़िले तक हिंसा की कई घटनाएँ सामने आई हैं. ये अशांति अब पड़ोसी राज्य असम और मिज़ोरम तक फैल गई है.

जिरीबाम में बढ़ती हिंसा को देखते हुए इससे सटे असम के कछार ज़िले में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. कछार के एसपी नुमल महत्ता ने बताया कि मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में अशांति के मद्देनज़र असम से सटे इलाक़ों में चौबीसों घंटे गश्त की जा रही है.

वहीं, इस हिंसा के बाद मिज़ोरम में रह रहे मैतेई समुदाय को ज़ो रीयूनिफिकेशन ऑर्गनाइज़ेशन (ज़ोरो) नाम के संगठन की ओर से धमकी मिलने के बाद वहाँ माहौल काफ़ी तनावपूर्ण बन गया है.

इस संगठन का आरोप है कि तटस्थ बल माने जाने वाले सीआरपीएफ़ के जवानों ने 11 नवंबर को 10 आदिवासी युवाओं की गोली मारकर हत्या कर दी, जिससे मणिपुर में जातीय संघर्ष और तेज़ हो गया.

हालाँकि, मणिपुर की पुलिस ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर जारी बयान में इन आरोपों का खंडन किया था. पुलिस का दावा है कि हथियारबंद चरमपंथियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया.