जब अमेरिका को छींक आती है तो दुनिया ज़ुकाम से ग्रसित हो जाती है.
दुनिया भर में अमेरिका के प्रभाव को रेखांकित करने के लिए अक्सर ये लाइन कही जाती है. ऐसे में अमेरिका में जब चुनाव होता है तो पूरी दुनिया की नज़र होती है कि सबसे शक्तिशाली देश की कमान किस व्यक्ति के पास आएगी और उसका रुख़ क्या होगा.
डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं और दुनिया भर में उनकी जीत को संभावनाओं और आशंकाओं के आईने में देखा जा रहा है.
अमेरिकी मीडिया आउटलेट ब्लूमबर्ग ने एक स्टोरी की है, जिसमें बताया गया है कि ट्रंप के आने से दुनिया के कई नेता विजेता की तरह महसूस कर रहे होंगे.
ब्लूमबर्ग ने ट्रंप के आने से जिन्हें विजेता की श्रेणी में रखा है, वे हैं- इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई.
ट्रंप चाहते हैं कि पुतिन और रूस के साथ अमेरिका के संबंध अच्छे होंगे तो यह सकारात्मक होगा
पुतिन ने ट्रंप के लिए क्या कहा?
पुतिन ने ब्लैक सी रिजॉर्ट ऑफ सोची में आयोजित एक इंटरनेशनल फोरम में गुरुवार को कहा, ''ट्रंप पर जब जानलेवा हमला हुआ तब उनके व्यवहार से मैं काफ़ी प्रभावित था. ट्रंप एक साहसिक व्यक्ति के रूप में उभरे. ट्रंप ने हमले के बाद ख़ुद को बिल्कुल सही रास्ते पर रखा. ट्रंप अगर रूस के साथ संबंध बहाल करने और यूक्रेन संकट को ख़त्म करने में मदद करने की बात कर रहे हैं तो मेरे विचार से यह ध्यान देने लायक़ है.''
कहा जा रहा है कि ट्रंप का फिर से आना पुतिन के लिए मौक़े की तरह है. पश्चिम के विभाजन का पुतिन दोहन करेंगे और यूक्रेन के मामले में वह फ़ायदा उठाएंगे.
ट्रंप नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो को लेकर हमलावर रहे हैं. ट्रंप को लगता है कि नेटो अमेरिका के लिए आर्थिक बोझ की तरह है.
दूसरी तरफ़ पुतिन भी नेटो से चिढ़े रहते हैं. यूक्रेन पर रूस के एक हमले की वजह ये भी थी कि यूक्रेन नेटो में शामिल होने की तैयारी कर रहा था. पुतिन बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि नेटो रूस के पड़ोसी देशों में अपना विस्तार करे.
ट्रंप अमेरिका फ़र्स्ट पॉलिसी की वकालत करते हैं और ऐसे में यूक्रेन को रूस से जंग के लिए फंड देंगे या नहीं इस पर संदेह बना हुआ है.
हालांकि कई लोग ट्रंप की अस्थिर सोच को लेकर भी चिंतित रहते हैं.
ब्लूमबर्ग ने लिखा है, ''रूस में कई लोग इस बात से चिंतित हैं कि ट्रंप छोटी अवधि के लिए युद्ध को बढ़ा सकते हैं ताकि पुतिन को समझौते के लिए झुकाया जा सके. लेकिन इसके विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं क्योंकि परमाणु टकराव की आशंका बढ़ जाएगी.''