डोनाल्ड ट्रंप का बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला कार्यकाल सऊदी अरब से उनके अच्छे संबंधों के लिए जाना जाता है.
सऊदी अरब की राजधानी रियाद में सोमवार को अरब और इस्लामी देशों के शिखर सम्मेलन में 50 से अधिक नेताओं ने हिस्सा लिया.
इसके साथ ही ये बहस तेज़ हो गई कि व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के मध्य-पूर्व के लिए क्या मायने हो सकते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप किस मामले में कब क्या रुख़ अख़्तियार कर लें, कहा नहीं जा सकता. ट्रंप के इस रवैये को लेकर यूरोप में खासा डर है. लेकिन दूसरी ओर, ऐसा लगता है कि अरब देश उनकी वजह से अपने क्षेत्र में स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं.
अरब न्यूज़ में छपे अपने कॉलम में संयुक्त अरब अमीरात के एक प्रमुख कारोबारी ख़लफ़ अल-हब्तूर ने लिखा है, ''मध्य पूर्व में सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. लिहाज़ा गठबंधन देशों को मज़बूत करने और अतिवादियों पर नकेल कसने पर ट्रंप का ज़ोर देना ही आगे का रास्ता हो सकता है.''
सऊदी अरब में जो बाइडन की तुलना में डोनाल्ड ट्रंप को ज़्यादा समर्थन हासिल है.
2017 में जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने तो अपने पहले विदेश दौरे के लिए उन्होंने सऊदी अरब को चुना. कहा जाता है कि ये विचार दिग्गज मीडिया कारोबारी रूपट मर्डोक का था.
डोनाल्ड ट्रंप के दामाद जेरड कुशनर के सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से अच्छे संबंध हैं. इस वजह से ट्रंप के भी क्राउन प्रिंस से अच्छे संबंध रहे हैं.
क्राउन प्रिंस की मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से नाराज़गी रही है, क्योंकि बाइडन ने मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर सऊदी अरब के रवैये की आलोचना करते हुए उसके बहिष्कार की बात कही थी.