अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विश्लेषक "सौरभ कुमार शाही" के अनुसार, ट्रम्प की नीतियां कूटनीति के सिद्धांतों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि एक जुआरी की रणनीतियों के समान हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विश्लेषक "सौरभ कुमार शाही" ने आईआरआईबी के सेहाब चैनल की हिन्दी भाषा के साथ एक विशेष बातचीत में "डोनल्ड ट्रम्प" का उल्लेख ऐसे राष्ट्रपति के रूप में किया, जिनकी नीतियां एक जुआरी की रणनीति के समान हैं।
पार्स टुडे के अनुसार, श्री "कुमार शाही" ने इस विशेष बातचीत में कहा कि ट्रम्प अपने चरमपंथी नज़रियों को बढ़ाकर निचले स्तर की विशिष्टताएं हासिल करना चाह रहे हैं।
ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के बारे में ट्रम्प के दावों का ज़िक्र करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के इस विश्लेषक ने कहा: "ट्रम्प एक काल्पनिक संकट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और फिर दावा करते हैं कि उन्होंने इसे हल कर लिया है।
वह अमेरिकी लोगों को बताना चाहते हैं कि ईरान परमाणु बम बना रहा था, लेकिन मैंने उसे रोक दिया, जबकि अमेरिकी खुफिया अधिकारी खुद मानते हैं कि ईरान परमाणु हथियार बनाना नहीं चाह रहा है।
ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका के अधिकतम दबाव की नीति का ज़िक्र करते हुए, श्री सौरभ कुमार शाही ने बताया कि तेहरान अमेरिकी दबाव से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार है और शंघाई और ब्रिक्स जैसे संगठनों का सदस्य होने के कारण, उसके पास नए राजनयिक उपकरण हैं।
क्या सऊदी अरब को इसराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?
इस बातचीत के दौरान इज़राइली के साथ संबंध स्थापित करने के लिए सऊदी अरब पर अमेरिकी दबाव की संभावना पर भी रोशनी डाली गयी।
श्री शाही ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रम्प अब सऊदी अरब के लिए उसी तरीक़े का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उन्होंने इज़राइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए यूएई को मजबूर किया था।
सौरभ कुमार शाही" के अनुसार, ग़ज़ा संकट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके ट्रम्प ने सऊदी अरब को ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जहां उसे लगता है कि इस स्थिति से निकलने का एकमात्र रास्ता इज़राइल के साथ संबंध सामान्य करना है लेकिन संयुक्त अरब इमारात के विपरीत, सऊदी अरब के पास ताक़त के कई हथकंडे हैं और वह इन दबावों का विरोध कर सकता है।
ईरान को लेकर ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच मतभेद, एक समझौते की कोशिश में तो दूसरा युद्ध की कोशिश में
श्री सौरभ कुमार शाही ने ईरान के सेहाब चैनल की हिन्दी सर्विस से एक्सक्लूसिव बातचीत में ईरान को लेकर डोनल्ड ट्रम्प और बेन्यामीन नेतन्याहू के बीच मतभेदों की ओर भी इशारा किया और कहा कि ट्रम्प भले ही ईरान पर अधिकतम दबाव बनाना चाहते हैं, लेकिन उनकी रणनीति नेतन्याहू के दृष्टिकोण से अलग है।
श्री शाही के अनुसार, नेतन्याहू युद्ध और ईरान के विनाश की कोशिश में हैं लेकिन ट्रम्प एक ऐसे समझौते की कोशिश में हैं जिसे वह अमेरिकी जनता को जीत के रूप में बेच सकें। शाही ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रम्प अपने समर्थकों के दो ग्रुप्स के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें इज़राइल का समर्थन करने वाले ईसाई ज़ायोनी और अमेरिकी राष्ट्रवादी शामिल हैं जो नहीं चाहते कि अमेरिका मध्यपूर्व में एक नए युद्ध में दाख़िल हो।
उन्होंने आगे कहा: ट्रम्प को इन दो ग्रुप्स के बीच पैंतरेबाज़ी करना चाहते हैं; इसलिए, एक ओर, वह ईरान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हैं लेकिन दूसरी ओर, वह बातचीत की मेज़ पर लौटने की संभावना का रास्ता खुला रखना भी चाहते हैं। आख़िर में इस अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा दुनिया अब 2016 जैसी नहीं है और अमेरिका दुनिया की पहली शक्ति और सुपर पॉवर नहीं रहा।
उन्होंने भविष्यवाणी की कि ईरान के खिलाफ "अधिकतम दबाव" नीति को लागू करना अधिक कठिन होगा। सौरभ कुमार शाही के मुताबिक़, आज कई देश अमेरिकी नीतियों का पालन नहीं करते हैं। 2018 के विपरीत, ईरान प्रतिबंधों के मुक़ाबले में अकेला नहीं है। दुनिया एक बहुध्रुवीय व्यवस्था में दाख़िल हो चुकी है जिसमें वाशिंगटन अब अपनी नीतियां दूसरे देशों पर थोप नहीं सकता। (AK)