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Monday, 7 April 2025

ट्रंप के खिलाफ वैश्विक विद्रोह: अमेरिका से लेकर दुनिया भर के 1200 शहरों में उबाल

ट्रंप के खिलाफ वैश्विक विद्रोह: अमेरिका से लेकर दुनिया भर के 1200 शहरों में उबाल
डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद उनकी नीतियों के खिलाफ एक अभूतपूर्व विरोध का तूफान उठ खड़ा हुआ है। अमेरिका और दुनिया भर के 1200 से अधिक शहरों में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए, जो ट्रंप के नए टैरिफ और विवादास्पद आर्थिक फैसलों को वैश्विक संकट का कारण बता रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन न केवल एक राजनीतिक संदेश है, बल्कि लोकतंत्र, व्यापार और वैश्विक एकता के लिए एक जोरदार चेतावनी भी है।
अमेरिका में वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और शिकागो जैसे प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। व्हाइट हाउस के बाहर "हैंड्स ऑफ" आंदोलन के तहत हजारों लोग जमा हुए, जिनमें नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणविद और श्रमिक संघों के सदस्य शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां थामीं, जिन पर लिखा था- "ट्रंप: अर्थव्यवस्था का दुश्मन" और "टैरिफ नहीं, शांति चाहिए।" न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया, जिससे शहर की रफ्तार थम गई।
यह आग सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही। यूरोप में बर्लिन, पेरिस और लंदन जैसे शहरों में भी ट्रंप के खिलाफ गूंज उठी। बर्लिन में बं्रडेनबर्ग गेट के पास प्रदर्शनकारियों ने जर्मन चांसलर से जवाबी कार्रवाई की मांग की, वहीं लंदन में ट्राफलगर स्क्वायर ट्रंप विरोधी नारों से गूंज उठा। एशिया में टोक्यो और सियोल से लेकर दक्षिण अमेरिका के ब्यूनस आयर्स तक, यह विरोध एक वैश्विक आंदोलन बन गया।

विरोध का मुख्य कारण ट्रंप के हालिया टैरिफ हैं, जिन्होंने वैश्विक शेयर बाजारों को हिलाकर रख दिया। प्रदर्शनकारी इसे न केवल आर्थिक आपदा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए खतरा मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह 21वीं सदी का सबसे बड़ा एकल विरोध प्रदर्शन हो सकता है। ट्रंप प्रशासन ने इसे "वामपंथी साजिश" करार दिया, लेकिन सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब इस बात का सबूत है कि असंतोष अब सीमाओं को पार कर चुका है। क्या यह आंदोलन ट्रंप की नीतियों को बदलने में कामयाब होगा, या यह सिर्फ एक शोर बनकर रह जाएगा? समय ही बताएगा।