राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज कुमार झा ने बिहार में मतदाता सूची के 'विशेष गहन पुनरीक्षण' (एसआईआर) को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। झा ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय के लोगों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में झा ने कहा, "37 फीसदी लोगों को जन्म प्रमाण पत्र दिखाना होगा, जो ज्यादातर पलायन करके जीविकोपार्जन करने वाले हैं। ये लोग साल में 3-4 बार ही अपने घर लौट पाते हैं। इनमें गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं।" उन्होंने दावा किया कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के आंतरिक सर्वे उन्हें डरा रहे हैं, जिसके चलते यह कदम उठाया जा रहा है। झा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा, "चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराना है। विश्वास जीतना पड़ता है, लेकिन माफ़ी के साथ कहना पड़ता है कि आप दिन-ब-दिन अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं।" इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने भी इसी तरह के आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आंतरिक सर्वे में बंगाल विधानसभा चुनाव में केवल 46 से 49 सीटें मिलने का अनुमान है, जिसके कारण यह कदम हताशा में उठाया जा रहा है। चुनाव आयोग ने 24 जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य सभी वैध नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना और अयोग्य मतदाताओं को हटाना है। आयोग ने दावा किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी, ताकि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में विश्वसनीयता बनी रहे। हालांकि, मनोज झा और अन्य विपक्षी नेताओं के बयानों ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद और गहरा गया है।
मनोज झा ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल, 'विशेष गहन पुनरीक्षण' पर जताई चिंता