उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में 21 जून 2025 को हुई एक शर्मनाक घटना ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। इस घटना में कथावाचकों के साथ मारपीट और उनके सिर मुंडवाने का मामला सामने आया, जिसके बाद राजनीति तेज हो गई है। इस विवाद में अब योगगुरु बाबा रामदेव भी कूद पड़े हैं, जिनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उन्होंने जातिवाद पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की कथा सुनाने का अधिकार सभी को है।
घटना का विवरण इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव में 21 से 27 जून तक भागवत कथा का आयोजन हो रहा था। कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत कुमार यादव और श्याम कठेरिया कथा सुना रहे थे। आरोप है कि जब गांव वालों को पता चला कि कथावाचक यादव समुदाय से हैं, तो कुछ लोगों ने उनकी जाति को लेकर सवाल उठाए और उनके साथ मारपीट की। वीडियो में दिख रहा है कि कथावाचकों के सिर मुंडवाए गए, उनकी चोटी काटी गई, और उन्हें एक महिला के पैर छूने और नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया। पीड़ितों का आरोप है कि यह हमला उनकी जाति के कारण हुआ। बाबा रामदेव का बयान इस घटना पर योगगुरु बाबा रामदेव ने कड़ा रुख अपनाया। वायरल वीडियो में वे कहते हैं, "इटावा में एक शख्स को पकड़कर चोटी काट दी गई। बोले तू भगवान की कथा नहीं करेगा। अरे बावलों, यदुवंशी की कथा यदुवंशी नहीं करेगा तो कौन करेगा? बात यहां कोई जातिवाद की नहीं है। म्हारा भगवान भी दूसरे छीन लियो, ए कोई बात हुई? भगवान तो सबके हैं, पर कोई ये कहे कि भगवान श्रीकृष्ण की कथा हमीं सुनाएंगे, ये बात सही नहीं है।" रामदेव ने इस बयान के जरिए जातिवादी मानसिकता पर सवाल उठाए और भगवान श्रीकृष्ण को सभी का बताते हुए एकता का संदेश दिया।
राजनीतिक हलचल इस घटना ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले को मानवाधिकारों और संविधान के मूल्यों के खिलाफ बताया। उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वर्चस्ववादी और सामंती सोच का नमूना है। अखिलेश ने लखनऊ में पीड़ित कथावाचकों को सम्मानित कर 51-51 हजार रुपये की सहायता भी दी।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सपा पर सामाजिक तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव इस घटना को "ब्राह्मण बनाम यादव" के रूप में प्रचारित कर समाज को बांट रहे हैं।
पुलिस की कार्रवाई इटावा पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों—आशीष तिवारी, उत्तम कुमार अवस्थी, निक्की अवस्थी और मनु दुबे—को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साथ ही, कथावाचकों के खिलाफ भी फर्जी आधार कार्ड और जाति छिपाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। एक महिला ने कथावाचक मुकुट मणि पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया, जिसके बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ जांच शुरू की।
सामाजिक सौहार्द पर सवाल इस घटना ने सोशल मीडिया पर "यादव बनाम ब्राह्मण" की बहस को जन्म दे दिया है। कुछ लोग इसे जातीय हिंसा का मामला बता रहे हैं, जबकि अन्य शांति और निष्पक्ष जांच की अपील कर रहे हैं। गुलाबी गैंग की संस्थापक संपत पाल ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कथावाचन किसी की बपौती नहीं है।
निष्कर्ष इटावा की इस घटना ने न केवल जातिगत तनाव को उजागर किया, बल्कि सामाजिक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े किए हैं। बाबा रामदेव का बयान इस विवाद में एक नया आयाम जोड़ता है, जो जातिवाद के खिलाफ एकता और समानता का संदेश देता है। इस मामले में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सभी की नजरें टि की हैं, ताकि न्याय सुनिश्चित हो और सामाजिक सौहार्द बना रहे।