जासूसी की दुनिया में कुछ कहानियां इतनी रोमांचक और अविश्वसनीय होती हैं कि वे किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं लगतीं। ऐसी ही एक कहानी है कैथरीन पेरेज शाकिद की, जिन्हें इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की सबसे चतुर और साहसी जासूसों में से एक माना जा रहा है। फ्रांसीसी मूल की यह यहूदी महिला कथित तौर पर शिया इस्लाम अपनाकर ईरान की राजधानी तेहरान में घुसपैठ करने में कामयाब रही और वहां के शीर्ष सैन्य अधिकारियों व वैज्ञानिकों की सटीक जानकारी जुटाकर इजरायल के लिए एक ऐतिहासिक ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह कहानी न केवल जासूसी की कला को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति की चतुराई और साहस दुश्मन की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर सकता है।
एक असाधारण जासूस का जन्म
कैथरीन पेरेज शाकिद कोई साधारण महिला नहीं थी। फ्रांसीसी मूल की इस खूबसूरत और तेज-तर्रार महिला को मोसाद ने कठोर प्रशिक्षण देकर एक अचूक हथियार में तब्दील किया। उनकी खासियत थी उनकी मनोवैज्ञानिक चतुराई, भाषाई कुशलता, और किसी भी परिस्थिति में ढलने की अद्भुत क्षमता। मोसाद ने उन्हें "मिशन ईरान" के लिए चुना, जिसका उद्देश्य था ईरान के परमाणु और सैन्य कार्यक्रमों को कमजोर करना।
कैथरीन को इस मिशन के लिए दो साल पहले तैयार किया गया। उन्होंने न केवल शिया इस्लाम की बारीकियों को सीखा, बल्कि ईरानी संस्कृति, भाषा, और सामाजिक तौर-तरीकों में भी महारत हासिल की। उनकी ट्रेनिंग में शामिल था गुप्त संचार, तकनीकी निगरानी, और मनोवैज्ञानिक रणनीतियां, जो उन्हें दुश्मन के इलाके में अजेय बनाती थीं।
शिया इस्लाम की आड़ में घुसपैठ
कैथरीन ने ईरान में प्रवेश करने के लिए एक धार्मिक जिज्ञासु की पहचान बनाई। उन्होंने सार्वजनिक रूप से शिया इस्लाम अपनाने की घोषणा की, जिसने उन्हें ईरानी समाज में आसानी से घुलने-मिलने का मौका दिया। धीरे-धीरे, उन्होंने ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की पत्नियों से दोस्ती बढ़ाई। उनकी सहजता और भरोसेमंद व्यक्तित्व ने उन्हें इन परिवारों के घरों तक पहुंचा दिया।
कहा जाता है कि कैथरीन ने रिश्तों में ऐसी सेंध लगाई कि उनकी पहुंच अधिकारियों के निजी जीवन और यहां तक कि उनके बेडरूम तक हो गई। वह तस्वीरें, ठिकानों की जानकारी, और संवेदनशील विवरण मोसाद को भेजती थीं, जिससे इजरायल को सटीक हमलों की योजना बनाने में मदद मिली। उनकी चालाकी इतनी थी कि ईरानी खुफिया एजेंसी को भनक तक नहीं लगी।
सटीक हमलों का रहस्य
13 जून 2025 को इजरायल ने "ऑपरेशन राइजिंग लॉयन" के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों, सैन्य कमांडरों, और वैज्ञानिकों पर सटीक ड्रोन और मिसाइल हमले किए। इनमें रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी जैसे बड़े नाम शामिल थे। इन हमलों की सटीकता ने दुनिया को हैरान कर दिया।
जांच के दौरान ईरानी खुफिया एजेंसी को शक हुआ कि कोई गहरी घुसपैठ उनकी सुरक्षा व्यवस्था में हुई है। तस्वीरों और वीडियो फुटेज की जांच में एक चेहरा बार-बार सामने आया—कैथरीन पेरेज शाकिद। लेकिन तब तक वह ईरान छोड़ चुकी थीं। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि वह अब नई पहचान के साथ किसी अन्य देश में हैं।
मोसाद की ताकत और ईरान का खौफ
मोसाद की यह कामयाबी केवल कैथरीन की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह इजरायल की खुफिया एजेंसी की रणनीतिक श्रेष्ठता का प्रतीक थी। मोसाद ने पहले भी 2018 में ईरान के परमाणु दस्तावेज चुराए और 2020 में वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की हत्या की थी। लेकिन कैथरीन का मिशन इसलिए खास था क्योंकि इसने न केवल तकनीकी खुफिया जानकारी जुटाई, बल्कि मानवीय जासूसी और मनोवैज्ञानिक रणनीति का बेजोड़ नमूना पेश किया।
ईरान ने इस घटना के बाद मोसाद के लिए जासूसी के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया और एक व्यक्ति, इस्माइल फेकरी, को फांसी दी। साथ ही, ईरान ने दावा किया कि उसने इजरायल के परमाणु संयंत्रों और रक्षा प्रणालियों की जानकारी हासिल की है। यह दिखाता है कि दोनों देशों के बीच खुफिया युद्ध कितना जटिल और खतरनाक है।