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Saturday, 21 June 2025

अमेरिका की ईरान पर हमले की तैयारी: स्टील्थ बॉम्बर्स, युद्धपोत और F-16 के साथ मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर

अमेरिका की ईरान पर हमले की तैयारी: स्टील्थ बॉम्बर्स, युद्धपोत और F-16 के साथ मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर
वॉशिंगटन: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका ने मध्य-पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति को काफी हद तक बढ़ा दिया है। यह कदम अमेरिका के दो मुख्य उद्देश्यों को ध्यान में रखकर उठाया गया है: पहला, मध्य-पूर्व में तैनात अपने सैन्य बलों की सुरक्षा, और दूसरा, ईरान के संभावित हमलों से इजरायल को बचाना। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि, “हमारे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है।”

पेंटागन ने मध्य-पूर्व में अतिरिक्त फाइटर जेट, एरियल रिफ्यूलिंग टैंकर और युद्धपोत तैनात किए हैं, जो रणनीतिक स्थानों पर रखे गए हैं। ये कदम व्यापक युद्ध की तैयारियों का संकेत देते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया है कि, “हमने ईरान के आकाश पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर लिया है।” इस बयान से वैश्विक स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है कि अमेरिका ईरान के परमाणु संकुलों पर हमला करने की योजना बना रहा है। हालांकि, अमेरिकी सेना ने स्पष्ट किया है कि अभी तक कोई भी अमेरिकी विमान ईरान की हवाई सीमा में नहीं घुसा है।

अमेरिका ने कितने F-16 विमान भेजे, इसका सटीक आंकड़ा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन दर्जनों F-16 सऊदी अरब पहुंच चुके हैं, जो आसपास के आकाश में रक्षात्मक गश्त कर रहे हैं। डिएगो गार्सिया द्वीप पर B-52 बॉम्बर्स को रिजर्व में रखा गया है। इसके अलावा, 30,000 पाउंड के GBU-57 बंकर-बस्टर बम से लैस B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की तैनाती अभी नहीं हुई है, लेकिन जरूरत पड़ने पर की जाएगी। इन बमों को ईरान के फोर्डो परमाणु संकुल जैसी पहाड़ों में बनी गुफाओं को नष्ट करने में सक्षम माना जाता है।

जासूसी संस्था औरोरा की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने अपने फाइटर जेट्स के रिफ्यूलिंग के लिए यूके, स्पेन और जर्मनी से संपर्क किया है। अमेरिका का जासूसी जहाज आर्ले-बर्क ईरानी मिसाइलों को रोकने में सक्षम है। इसके अलावा, विशाल विमानवाहक पोत USS निमित्ज और USS गेराल्ड आर. फोर्ड, साथ ही डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स अरब सागर में पहुंच चुके हैं। अमेरिका 40,000 सैनिकों को भी इस क्षेत्र में भेज रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इन आक्रामक कदमों से तेल व्यापार पर निर्भर मध्य-पूर्व में व्यापक युद्ध भड़क सकता है। ईरान ने भी चेतावनी दी है कि किसी भी हमले का जवाब वह हाइपरसोनिक मिसाइलों से देगा, जिन्हें रोकना मुश्किल है। यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था और शांति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।