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Friday, 27 June 2025

बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग का किया समर्थन

बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग का किया समर्थन
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग को लेकर बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने समर्थन जताया है। खंडेलवाल ने इस मांग को तर्कसम्मत बताते हुए कहा कि ये शब्द आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्वार्थों के लिए जोड़े गए थे।

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए खंडेलवाल ने कहा, "दत्तात्रेय होसबाले ने जो कहा है, वो बिल्कुल तर्कसम्मत है। जब संविधान निर्माताओं ने जो संविधान बनाया था, उसमें एक-एक शब्द का चयन भारत को स्वर्णिम राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से किया गया था।" उन्होंने आगे कहा, "इसके बाद कुछ लोगों ने आपातकाल में अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए शब्दों के साथ छेड़छाड़ की। कुछ शब्द वो जोड़ दिए, जिनके कोई मायने नहीं हैं।"

होसबाले ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था, "बाबा साहेब ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये दो शब्द (‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’) नहीं थे। आपातकाल के दौरान, जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, और न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।" उन्होंने सवाल उठाया, "इन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।"

होसबाले का यह बयान 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में आया, जहां उन्होंने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों के लिए कांग्रेस से माफी मांगने की भी मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आपातकाल में एक लाख से अधिक लोगों को जेल में डाला गया और 60 लाख से अधिक लोगों की जबरन नसबंदी की गई।

इस बयान ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला करार देते हुए कहा कि आरएसएस और बीजेपी लंबे समय से बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को कमजोर करने की साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं।

यह विवाद तब और गहरा गया, जब खंडेलवाल ने होसबाले के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान के साथ की गई छेड़छाड़ को ठीक करने की जरूरत है। यह मुद्दा अब संसद से सड़क तक बहस का विषय बन गया है, जिसमें विपक्ष और सत्तारूढ़ दल एक-दूसरे पर संविधान के प्रति निष्ठा को लेकर सवाल उठा रहे हैं।