Tuesday, 3 June 2025

कंजरवेटिव पार्टी के नेता का ख़ुलासा: इज़राइल पश्चिम के लिए और पश्चिम एशिया के देशों को कमज़ोर करने के लक्ष्य से युद्ध कर रहा है कॉर्बिन: मैं नफ़रत करता हूँ

कंजरवेटिव पार्टी के नेता का ख़ुलासा: इज़राइल पश्चिम के लिए और पश्चिम एशिया के देशों को कमज़ोर करने के लक्ष्य से युद्ध कर रहा है कॉर्बिन: मैं नफ़रत करता हूँ
दाईं ओर: केमी बाडेनोक, ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी की नेता| बाईं ओर: जेरेमी कॉर्बिन, ब्रिटिश सांसद

ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी की नेता ने स्वीकार किया है कि ज़ायोनी शासन ग़ाज़ा में ब्रिटेन की ओर से एक proxy war लड़ रहा है।

इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनी जनता के खिलाफ किए जा रहे नरसंहार के दौरान, ब्रिटेन ने अमेरिका और जर्मनी जैसे अन्य पश्चिमी देशों के साथ मिलकर इस शासन को हथियारों की आपूर्ति में पूरा सहयोग दिया है। लंदन ने यह अनुमति दी है कि ब्रिटिश शाही वायुसेना के "अक्रोतिरी" नामक अड्डे से इज़राइल को ग़ज़ा के विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बनाने में मदद देने के लिए जासूसी उड़ानें भरी जाएं।

इसके अलावा, ब्रिटिश नागरिकों ने ग़ज़ा में हो रहे नरसंहार में सैनिकों के रूप में भाग लिया है।

मिडिल ईस्ट आई के हवाले से पार्स टुडे ने रिपोर्ट किया है कि केमी बाडेनोक (Kemi Badenoch) ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी की नेता ने यह स्वीकार किया:

"इज़राइल ग़ाज़ा में ब्रिटेन की ओर से एक छद्म युद्ध लड़ रहा है।

इस ब्रिटिश महिला राजनेता के अनुसार, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देश न केवल इज़राइल का हमास के ख़िलाफ समर्थन कर रहे हैं, बल्कि इस युद्ध को निर्देशित और प्रबंधित भी कर रहे हैं, क्योंकि वे इज़राइल के हमलों की निरंतरता को अपने राष्ट्रीय हितों के लिए आवश्यक मानते हैं।

उन्होंने आगे कहा: "इज़राइल, ब्रिटेन की ओर से एक छद्म युद्ध अर्थात प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है- ठीक उसी तरह जैसे यूक्रेन, पश्चिमी यूरोप की ओर से रूस के खिलाफ युद्ध कर रहा है।"

केमी बाडेनोक के अनुसार, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर द्वारा ब्रिटेन की ग़ाज़ा में जानबूझकर पैदा किए गए अकाल के ज़रिए किए जा रहे जनसंहार में सक्रिय भागीदारी को सीमित करने की परोक्ष चेतावनी, देश के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।

उनका मानना है कि: इज़राइल का ग़ाज़ा में युद्ध न तो मुख्य रूप से हमास को समाप्त करने के लिए है, न ही बंधकों की रिहाई के लिए बल्कि यह युद्ध इज़राइल को उस स्तर पर सशस्त्र करना है जिससे वह ईरान और उसके उन सहयोगी देशों को कमजोर कर सके जो पश्चिमी सरकारों की वेस्ट एशिया पर हुकूमत को स्वीकार नहीं करते।"

यह रणनीति, उनके अनुसार, ठीक वैसी ही है जैसी यूक्रेन युद्ध में अपनाई गई -यानी पश्चिमी शक्तियों द्वारा अपने भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को नियंत्रित करने के लिए अपने प्रतिनिधि देशों का इस्तेमाल करना।

इसी संदर्भ में, ब्रिटेन के यहूदी समुदाय से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका "द ज्यूइश क्रॉनिकल" (The Jewish Chronicle) के पूर्व संपादक "स्टेफ़न पोलार्ड" का भी मानना है कि इज़राइल, पश्चिम एशिया के तेल-समृद्ध क्षेत्र में पश्चिमी शक्तियों के प्रभुत्व को लागू कराने के लिए वही भूमिका निभा रहा है, जिसके लिए ब्रिटेन ने एक सदी पहले योजना बनाई थी।

दूसरी ओर, ब्रिटिश सांसद जेरेमी कॉर्बिन ने कहा: मैं इस बात से नफ़रत करता हूं कि वैश्विक शक्तियां, जिनमें ब्रिटेन भी शामिल है, अब भी इज़राइल को हथियार मुहैया करा रही हैं जबकि वे पूरी तरह से जानती हैं कि इज़राइल ग़ाज़ा में आम नागरिकों पर बमबारी कर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है।"

कॉर्बिन ने आगे कहा: मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम उस मुकाम तक पहुंच जाएंगे जहां यूरोपीय शहरों की सड़कों पर लोग केवल इस वजह से गिरफ़्तार किए जाएंगे कि वे संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त फिलिस्तीन का झंडा हाथ में लिए हुए हैं! मैंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि हम इस स्तर की भ्रांति तक पहुंच जाएंगे सिर्फ इसलिए कि कुछ लोग फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों की रक्षा की बात करते हैं!"

हाल ही में 300 से अधिक ब्रिटिश हस्तियों ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर को संबोधित करके एक पत्र में लंदन की ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़ा पट्टी में किए जा रहे अपराधों में मिलीभगत को समाप्त करने की मांग की है। mm