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Wednesday, 2 July 2025

प्रत्येक भारतीय पर ₹4.8 लाख का कर्ज: 2023 में था ₹3.9 लाख, 2 साल में 23% की वृद्धि; 5 सवाल-जवाब में जानें इसका असर

प्रत्येक भारतीय पर ₹4.8 लाख का कर्ज: 2023 में था ₹3.9 लाख, 2 साल में 23% की वृद्धि; 5 सवाल-जवाब में जानें इसका असर
प्रत्येक भारतीय पर औसतन 4.8 लाख रुपये का कर्ज है। मार्च 2023 में यह 3.9 लाख रुपये था। पिछले दो वर्षों में इसमें 23% की वृद्धि हुई है, यानी प्रत्येक भारतीय का औसत कर्ज 90,000 रुपये बढ़ गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। **5 सवाल-जवाब में जानें इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा...

सवाल 1: कर्ज में वृद्धि का क्या मतलब है?  

जवाब:  इसका मतलब है कि लोग पहले की तुलना में अधिक उधार ले रहे हैं। इसमें होम लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया और अन्य रिटेल लोन शामिल हैं। गैर-हाउसिंग रिटेल लोन, जैसे पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन, में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। ये लोन कुल घरेलू लोन का 54.9% हिस्सा हैं और डिस्पोजेबल आय का 25.7% हैं। हाउसिंग लोन का हिस्सा 29% है, और इनमें से अधिकांश लोन उन लोगों ने लिए हैं जो पहले से ही कर्ज में हैं और दोबारा उधार ले रहे हैं। 

सवाल 2: क्या देश का कर्ज GDP की तुलना में बहुत अधिक है?

जवाब: RBI के अनुसार, भारत का कुल कर्ज उसके GDP का 42% है। यह अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं (EMEs) की तुलना में कम है, जहां यह 46.6% है। इसका मतलब है कि भारत में कर्ज की स्थिति अभी नियंत्रण में है। साथ ही, अधिकांश कर्जदारों का रेटिंग अच्छा है, जिसका मतलब है कि उनके पैसे डूबने का जोखिम कम है। RBI का कहना है कि इन लोनों से अभी कोई बड़ा जोखिम नहीं है। कोविड-19 की अवधि की तुलना में डिलिंक्वेंसी रेट (लोन न चुका पाने की दर) भी कम हुआ है। हालांकि, जिन लोगों का रेटिंग कम है और कर्ज अधिक है, उनके लिए थोड़ा जोखिम बना हुआ है। 

सवाल 3: माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में लोन की स्थिति कैसी है?
जवाब: माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र (छोटे लोन समूह) में कर्जदारों की औसत देनदारी 11.7% घटी है, लेकिन 2025 की दूसरी छमाही में तनावग्रस्त संपत्तियों की संख्या में वृद्धि हुई है। RBI ने कहा है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियां उच्च ब्याज दर और मार्जिन वसूल रही हैं, जिससे कर्जदारों के लिए भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। 

सवाल 4: भारत का बाह्य कर्ज कितना है?

जवाब: मार्च 2025 तक भारत का विदेशी/बाह्य कर्ज 736.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। यह GDP का 19.1% है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा 35.5% गैर-वित्तीय निगमों, 27.5% डिपॉजिट लेने वाली संस्थाओं और 22.9% सरकारों का है। अमेरिकी डॉलर में लिया गया कर्ज कुल बाह्य कर्ज का 54.2% है। 

सवाल 5: इससे आम लोगों को क्या फर्क पड़ता है?

जवाब: आम लोगों के लिए इसका मतलब है कि लोन लेना पहले की तुलना में आसान हो गया है, लेकिन कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। अगर आप लोन ले रहे हैं, तो अपनी चुकाने की क्षमता पर ध्यान दें। RBI की लचीली मौद्रिक नीति ब्याज दरों को कम कर सकती है, जिससे लोन चुकाना आसान हो सकता है। लेकिन माइक्रोफाइनेंस लोन लेते समय सावधानी बरतें, क्योंकि उनके ब्याज दर अधिक हो सकते हैं।