यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है। 2017 में उनके बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था। निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता महदी के परिवार से माफी है, जो ब्लड मनी (दियाह) के बदले संभव हो सकती है। केरल की 37 वर्षीय निमिषा 2008 में नर्स के रूप में यमन गई थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने महदी को बेहोशी की दवा की अधिक खुराक दी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। निमिषा का दावा है कि महदी ने उन्हें शारीरिक और आर्थिक शोषण का शिकार बनाया, उनका पासपोर्ट जब्त किया और धमकियां दीं। उन्होंने पासपोर्ट वापस लेने के लिए दवा दी थी, लेकिन अनजाने में खुराक बढ़ गई। 2020 में स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट और 2024 में हूती प्रशासन ने बरकरार रखा। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले एक साल से यमन में अपनी बेटी को बचाने की कोशिश कर रही हैं। 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने 10 लाख डॉलर की ब्लड मनी जुटाई है, लेकिन महदी का परिवार अभी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम, जो परिवार से बातचीत कर रहे हैं, ने बताया कि वे अंतिम समय तक प्रयास जारी रखेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय मामले पर नजर रखे हुए है, लेकिन यमन में हूती प्रशासन के साथ कूटनीतिक संबंधों की कमी चुनौती बनी हुई है।
क्या निमिषा को बचाया जा सकेगा, यह अब समय और महदी के परिवार के फैसले पर निर्भर है।