सना: केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं, को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है। निमिषा पर उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है, जिसके लिए उन्हें 2020 में यमनी अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। उनकी जान बचाने के लिए भारत सरकार, उनका परिवार, और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ तमाम कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन कई चुनौतियां राह में रोड़ा बन रही हैं।
हूती स्वतंत्र सेनानियों के नियंत्रण में सना सना पर हूती स्वतंत्र सेनानियों का नियंत्रण है, और भारत के उनके साथ कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यमन में भारत का कोई दूतावास नहीं है, और सऊदी अरब में भारतीय दूतावास ही यमन से संबंधित मामलों को देखता है। हूती स्वतंत्र सेनानियों के साथ सीधे संवाद की कमी और यमन में चल रहे गृहयुद्ध ने राजनयिक प्रयासों को जटिल बना दिया है। भारत सरकार ने ईरान के माध्यम से हूती नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की है, क्योंकि ईरान का हूतियों के साथ निकट संबंध है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।
ब्लड मनी: माफी का एकमात्र रास्ता यमनी शरिया कानून के तहत, निमिषा की सजा को माफ करने का एकमात्र रास्ता ‘ब्लड मनी’ या ‘दियाह’ है, जिसमें पीड़ित परिवार को मुआवजा देकर माफी मांगी जा सकती है। निमिषा के परिवार और समर्थकों ने तलाल के परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, जिसमें केरल की जनता ने भी योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, तलाल के परिवार को केरल में मुफ्त इलाज और यात्रा खर्च की पेशकश भी की गई है।
हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती यह है कि तलाल अब्दो महदी का परिवार इस ब्लड मनी को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन, जो दो दशकों से यमन में रह रहे हैं और निमिषा की रिहाई के लिए प्रयासरत हैं, ने बताया कि कई दौर की बातचीत के बाद भी परिवार माफी देने को राजी नहीं हुआ। तलाल के पिता और भाई के साथ हाल की बैठकों में 10 लाख डॉलर पर सहमति बनती दिख रही थी, लेकिन अचानक बातचीत रुक गई।
भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की कोशिशें भारत सरकार ने कहा है कि वह निमिषा और उनके परिवार को हर संभव मदद दे रही है। विदेश मंत्रालय स्थानीय कर्मचारियों के माध्यम से सना में सक्रिय है और ईरान के जरिए हूती स्वतंत्र सेनानियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही, ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारत सरकार से तत्काल राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर 14 जुलाई 2025 को सुनवाई की तारीख तय की है, जो फांसी की तारीख से मात्र दो दिन पहले है। वरिष्ठ वकील आर. बसंत ने कोर्ट में दलील दी कि ब्लड मनी के जरिए माफी का रास्ता अभी खुला है, लेकिन समय की कमी बड़ी चुनौती है।
निमिषा प्रिया का मामला: पृष्ठभूमि निमिषा 2008 में बेहतर रोजगार के लिए केरल के पलक्कड़ से यमन गई थीं। 2015 में, उन्होंने तलाल अब्दो महदी के साथ सना में एक क्लिनिक खोला, क्योंकि यमनी कानून के अनुसार विदेशियों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है। लेकिन जल्द ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। निमिषा ने आरोप लगाया कि तलाल ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, और फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को उनका पति बताकर आर्थिक शोषण किया। निमिषा ने यह भी दावा किया कि तलाल उन्हें अपने दोस्तों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था, जिसके कारण वह रात में सना की सड़कों पर भागकर अपनी जान बचाती थी।
2017 में, निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए तलाल को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, निमिषा और उनके साथी अब्दुल हन्नान ने शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंक दिया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया, और 2020 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि हन्नान को उम्रकैद मिली। 2023 में उनकी अपील खारिज हो गई, और 2024 में यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने सजा को मंजूरी दी।
परिवार और समुदाय का संघर्ष निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले एक साल से यमन में हैं और तलाल के परिवार से माफी मांगने की कोशिश कर रही हैं। वह कोच्चि में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं और अपनी बेटी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। निमिषा के पति टॉमी थॉमस, जो इडुक्की में ऑटो चालक हैं, और उनकी 12 वर्षीय बेटी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। परिवार पर 60 लाख रुपये का कर्ज है, जो क्लिनिक शुरू करने के लिए लिया गया था।
केरल में ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ ने क्राउडफंडिंग के जरिए ब्लड मनी की राशि जुटाई है, और सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम यमन में तलाल के परिवार से बातचीत के लिए प्रयासरत हैं। भारतीय नेताओं, जैसे भाकपा सांसद पी. संतोष कुमार और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, ने भी विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हस्तक्षेप की मांग की है।
चुनौतियां और आखिरी उम्मीद निमिषा की जान बचाने के लिए समय तेजी से कम हो रहा है। हूती स्वतंत्र सेनानियों के साथ राजनयिक चैनलों की कमी, तलाल के परिवार की अनिच्छा, और यमन में गृहयुद्ध की स्थिति इस मामले को जटिल बनाती है। सुप्रीम कोर्ट की 14 जुलाई की सुनवाई और भारत सरकार के ईरान के जरिए प्रयास अब आखिरी उम्मीद हैं। यदि तलाल का परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर लेता है, तो निमिषा की सजा माफ हो सकती है, लेकिन अभी तक इसकी संभावना कम दिख रही है।
यह मामला न केवल निमिषा और उनके परिवार के लिए, बल्कि भारत के राजनयिक प्रयासों और शरिया कानून की जटिलताओं को समझने के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। निमिषा की जान बचाने के लिए भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट, और उनके समर्थकों की कोशिशें अंतिम क्षणों तक जारी हैं।
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