गाज़ा पट्टी में इजरायली सैन्य अभियानों ने भारी विनाश मचाया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में गाज़ा शहर पर नियंत्रण और हमास को खत्म करने की रणनीति ने क्षेत्र को मलबे के ढेर में बदल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाज़ा में भुखमरी और विस्थापन जैसे हालात गहरा चुके हैं, जहां 263 से अधिक लोग भुखमरी से मर चुके हैं, जिनमें आधे से ज्यादा बच्चे हैं। इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलांट के बयान, "न बिजली, न भोजन, न ईंधन, न पानी – हम इंसानी जानवरों से लड़ रहे हैं," ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विवाद को जन्म दिया है।
नेतन्याहू का दावा है कि उनका लक्ष्य गाज़ा पर कब्जा करना नहीं, बल्कि उसे हमास से "आज़ाद" करना है। हालांकि, इस रणनीति की कीमत गाज़ा के आम नागरिक चुका रहे हैं। बमबारी, भोजन और पानी की कमी, और आवासीय क्षेत्रों की व्यवस्थित तबाही ने मानवीय संकट को और गहरा दिया है। इसराइल के सहयोगी देशों, जैसे ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र, ने इस सैन्य रणनीति की निंदा की है, लेकिन नेतन्याहू अपने रुख पर अडिग हैं।
मुस्लिम देशों की चुप्पी: आर्थिक और राजनीतिक हितों का खेल
57 मुस्लिम देशों की इस संकट पर चुप्पी कई सवाल उठाती है। मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों के अनुसार, कई अरब देश अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। उदाहरण के लिए।
सऊदी अरब
इजरायल के साथ संबंध सुधारने और विजन 2030 पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश में।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
इजरायल के साथ 2 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार। -
मिस्र
अमेरिकी सहायता पर निर्भरता।
जॉर्डन
पानी और गैस की डील के कारण मजबूरी।
इन देशों के लिए, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक लाभ फिलिस्तीनी संकट से ऊपर हो सकते हैं। इसके अलावा, कुछ मुस्लिम देशों में आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता और अन्य क्षेत्रीय संघर्ष, जैसे सीरिया और यमन, भी उनकी प्राथमिकताओं को प्रभावित करते हैं।
आम जनता की आवाज़ और अंतरराष्ट्रीय दबाव
सोशल मीडिया पर गाज़ा के समर्थन में आवाज़ें उठ रही हैं। एक यूजर ने लिखा, "61 हिजरी में कर्बला में इमाम हुसैन अकेले थे, आज गाज़ा और फिलिस्तीन भुखमरी का शिकार हैं, फिर भी 57 मुस्लिम देश चुप हैं।" यह भावना कई लोगों के गुस्से और निराशा को दर्शाती है। हालांकि, कुछ मुस्लिम देशों, जैसे तुर्की और कतर, ने इजरायल की निंदा की है और युद्धविराम की मांग की है, लेकिन ठोस कार्रवाई का अभाव साफ दिखता है।
क्या है समाधान?
गाज़ा में तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने युद्धविराम और बंधकों की रिहाई की अपील की है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संकट पर एकजुट होकर दबाव बनाना होगा। मुस्लिम देशों को अपने आर्थिक हितों से ऊपर उठकर मानवता के लिए आवाज़ उठानी चाहिए, ताकि गाज़ा के लोगों को राहत मिल सके।