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यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Monday, 25 August 2025

इजराइल का यमन पर हमला: फिलिस्तीन समर्थक हूतियों पर क्रूर बमबारी, क्षेत्रीय तनाव बढ़ा

इजराइल का यमन पर हमला: फिलिस्तीन समर्थक हूतियों पर क्रूर बमबारी, क्षेत्रीय तनाव बढ़ा
25 अगस्त 2025 को इजराइल ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। ये हमले ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर हाल के मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में किए गए, जिन्हें हूती गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में अपनी कार्रवाई बताते हैं। इस लेख में हम इजराइल की आक्रामकता, यमन के नुकसान, हवाई सीमा उल्लंघन, और हूतियों की फिलिस्तीन समर्थक भूमिका का विश्लेषण करेंगे, यह तर्क देते हुए कि इजराइल की कार्रवाइयां क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा रही हैं, जबकि हूती फिलिस्तीनी संघर्ष के लिए एकजुटता दिखा रहे हैं। 
इजराइल की आक्रामकता और हूतियों की जवाबी कार्रवाई

 इजराइल ने 24 अगस्त 2025 को यमन की राजधानी सना में 35 से अधिक ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें 10-12 फाइटर जेट्स ने भाग लिया। इन हमलों में सना के प्रमुख बुनियादी ढांचे, जैसे अल-हज़ीज़ पावर स्टेशन, तेल भंडारण केंद्र, और राष्ट्रपति भवन परिसर को निशाना बनाया गया। ये हमले हूती विद्रोहियों द्वारा इजराइल पर दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन हमलों के जवाब में थे, जिनमें हाल ही में क्लस्टर म्यूनिशन युक्त एक नई मिसाइल का उपयोग शामिल था। हूतियों का कहना है कि उनके हमले गाजा में इजराइल की सैन्य कार्रवाइयों के खिलाफ फिलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए हैं।

नुकसान का विवरण 1.

मानवीय क्षति

 हूती नियंत्रित मीडिया के अनुसार, सना में 24 अगस्त 2025 के हमलों में कम से कम छह लोगों की मौत हुई और 86 घायल हुए, जिनमें कई नागरिक शामिल थे।
जुलाई 2024 में होदेइदाह बंदरगाह पर हुए हमले में तीन लोगों की मौत और 87 घायल हुए थे। 

मई 2025 में सना हवाई अड्डे पर हमले में कई लोग मारे गए, और हवाई अड्डे का कंट्रोल टावर नष्ट हो गया।

बुनियादी ढांचे का विनाश

सना का अल-हज़ीज़ पावर स्टेशन पूरी तरह नष्ट हो गया, जिससे शहर में बिजली आपूर्ति ठप हो गई।

 सिक्सटीथ स्ट्रीट पर तेल भंडारण केंद्र के नष्ट होने से बड़े पैमाने पर आग और धुआं फैल गया, जिसने सना के घनी आबादी वाले क्षेत्रों को प्रभावित किया।

होदेइदाह और सालिफ बंदरगाहों पर हमलों ने यमन की अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया, क्योंकि ये बंदरगाह आयात के लिए महत्वपूर्ण हैं।

आर्थिक प्रभाव

यमन पहले से ही मानवीय संकट से जूझ रहा है, और इन हमलों ने ईंधन और बिजली की कमी को और गंभीर कर दिया। - लाल सागर में हूती हमलों के कारण वैश्विक व्यापार पहले ही प्रभावित हो चुका है, और इजराइली हमले इस संकट को और बढ़ा रहे हैं।

हवाई सीमा उल्लंघन

इजराइली फाइटर जेट्स ने यमन तक पहुंचने के लिए लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की, जिसके लिए हवा में कई बार ईंधन भरने की आवश्यकता थी। इस दौरान निम्नलिखित देशों की हवाई सीमा के उल्लंघन की संभावना है: -

सऊदी अरब

यमन का पड़ोसी देश, जिसकी हवाई सीमा इजराइली जेट्स के लिए सबसे संभावित मार्ग है। सऊदी अरब और इजराइल के बीच अनौपचारिक सहयोग के बावजूद, यह उल्लंघन क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है। - 

लाल सागर क्षेत्र


मिस्र, सूडान, और इरिट्रिया की हवाई सीमाएं लाल सागर के ऊपर से उड़ान के दौरान प्रभावित हो सकती हैं। इन देशों ने सार्वजनिक रूप से कोई शिकायत दर्ज नहीं की, लेकिन यह क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है। - 

जॉर्डन

कुछ मामलों में, इजराइली विमानों ने जॉर्डन की हवाई सीमा का उपयोग किया है, जो एक संवेदनशील मुद्दा है। 

 इन उल्लंघनों ने क्षेत्रीय देशों के बीच तनाव को और बढ़ाने का काम किया है, खासकर जब हूती विद्रोही फिलिस्तीन के समर्थन में अपनी कार्रवाइयों को उचित ठहराते हैं।

हूतियों की फिलिस्तीन समर्थक भूमिका


 हूती विद्रोही, जिन्हें अंसार अल्लाह के नाम से भी जाना जाता है, 7 अक्टूबर 2023 को गाजा में इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से फिलिस्तीनियों के समर्थन में सक्रिय हैं। उन्होंने लाल सागर में इजराइल से जुड़े जहाजों पर 100 से अधिक हमले किए, जिसका उद्देश्य इजराइल पर आर्थिक दबाव डालना और गाजा में मानवीय संकट की ओर ध्यान आकर्षित करना है। 

हूती नेता अब्दुल मलिक अल-हूती ने कहा कि उनकी कार्रवाइयां तब तक जारी रहेंगी जब तक इजराइल गाजा पर हमले बंद नहीं करता और नाकाबंदी हटा नहीं लेता।

 हूतियों ने इजराइल के बेन गुरियन हवाई अड्डे और तेल अवीव जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों पर हाइपरसोनिक मिसाइलों और ड्रोनों से हमले किए, जो उनके सैन्य सामर्थ्य को दर्शाता है।

उनका नारा "मौत इजराइल को" और "अक्ष-अ-रजिस्टेंस" (ईरान, हमास, हिजबुल्लाह सहित) का हिस्सा होने का दावा, उनकी फिलिस्तीनी समर्थन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इजराइल की गुनाहगार भूमिका

इजराइल की कार्रवाइयों को क्षेत्रीय अस्थिरता का प्रमुख कारण माना जा सकता है: - 

आनुपातिकता का अभाव

 हूती हमलों के जवाब में इजराइल ने यमन के नागरिक बुनियादी ढांचे, जैसे बिजली संयंत्रों और तेल भंडारों, को निशाना बनाया, जो यमन के नागरिकों के लिए मानवीय संकट को और गंभीर करता है।

क्षेत्रीय तनाव में वृद्धि 

इजराइल ने न केवल यमन, बल्कि गाजा, लेबनान, और सीरिया में भी हमले किए, जिससे पूरे मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

ईरान को निशाना बनाने की रणनीति

इजराइली नेताओं, जैसे पीएम नेतन्याहू और रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज, ने हूतियों को ईरान का "मोहरा" करार दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये हमले ईरान के खिलाफ व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन


नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले और अन्य देशों की हवाई सीमा का उल्लंघन अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है, जिसके लिए इजराइल की आलोचना हो रही है। 

क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव 
फिलिस्तीन के प्रति हूतियों की एकजुटता 

हूतियों ने गाजा में इजराइल की कार्रवाइयों, जिसमें 54,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हुई, को रोकने के लिए अपनी सैन्य कार्रवाइयों को उचित ठहराया है।

लाल सागर में व्यापार पर प्रभाव

हूतियों के हमलों ने लाल सागर में वैश्विक व्यापार को बाधित किया, लेकिन इजराइल के जवाबी हमले यमन की अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर रहे हैं, जिससे मानवीय संकट गहरा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ईरान, हिजबुल्लाह, और इराकी मिलिशिया ने इजराइल के हमलों की निंदा की है, इसे "कायराना" और क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बताया है।

 इजराइल के यमन पर हवाई हमले क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा हैं और नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करके यमन के लोगों को सामूहिक दंड दे रहे हैं। हूती विद्रोही, हालांकि विवादास्पद, गाजा में फिलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता दिखा रहे हैं, जो इजराइल की आक्रामक नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक है। इन हमलों ने सना और होदेइदाह में भारी तबाही मचाई, जिससे यमन का मानवीय संकट और गंभीर हो गया है। इजराइल की कार्रवाइयां, जिसमें अन्य देशों की हवाई सीमा का उल्लंघन शामिल है, मध्य पूर्व में तनाव को बढ़ा रही हैं, जबकि हूती विद्रोही फिलिस्तीनी संघर्ष के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहे हैं। क्षेत्रीय शांति के लिए इजराइल को अपनी आक्रामक नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।