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Thursday, 18 September 2025

ज्ञानेश कुमार की बेइमानी: कर्नाटक वोट घोटाले में सॉफ्टवेयर का खुलासा, 6 हजार वोट काटने का खेल कैसे पकड़ा गया?

ज्ञानेश कुमार की बेइमानी: कर्नाटक वोट घोटाले में सॉफ्टवेयर का खुलासा, 6 हजार वोट काटने का खेल कैसे पकड़ा गया?
नई दिल्ली। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ चुनाव आयोग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरी को संरक्षण देने का इल्जाम लगा है। कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में एक सुनियोजित साजिश के तहत 6,018 वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की गई, जो कांग्रेस समर्थक थे। यह घोटाला तब पकड़ा गया जब एक बूथ अधिकारी को शक हुआ और जांच शुरू हुई। कर्नाटक पुलिस की क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) ने खुलासा किया कि एक विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन फॉर्म भरकर यह वोट कटवाने का खेल चलाया जा रहा था। 

 सॉफ्टवेयर का जाल: सीरियल नंबर 1 का राज जांच में सामने आया कि वोट काटने वाला सॉफ्टवेयर पूरी तरह ऑटोमेटेड है। यह हर बूथ के पहले वोटर (सीरियल नंबर 1) का नाम अपने आप इस्तेमाल करता है। मतलब, फॉर्म भरने वाले हर आवेदन में वही सीरियल नंबर 1 का नाम आ जाता है, भले ही असल में कोई और व्यक्ति फॉर्म भर रहा हो। कर्नाटक सीआईडी के अनुसार, आलंद क्षेत्र में सभी 6,018 डिलीशन फॉर्म इसी पैटर्न पर भरे गए थे। इससे साफ हो गया कि यह कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं, बल्कि एक सिस्टमैटिक ऑपरेशन है, जो केंद्रीय स्तर से चलाया जा रहा है। 

अनजान वोटरों का नाम: फर्जी फोन नंबरों का इस्तेमाल सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन वोटरों के नाम पर फॉर्म भरे गए, उन्हें खुद इसकी भनक तक नहीं थी। सीआईडी जांच में पाया गया कि फॉर्म भरने और ओटीपी वेरिफिकेशन के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पुराने फोन नंबरों का इस्तेमाल किया गया, जो अब बंद पड़े हैं। ये नंबर फर्जी थे और ट्रेस करने लायक नहीं। वोटरों को न तो कोई नोटिफिकेशन मिला, न ही वे खुद फॉर्म भरने वाले थे। राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे "हाइड्रोजन बम" बताते हुए कहा कि यह साजिश कांग्रेस के मजबूत बूथों को निशाना बना रही है, ताकि चुनाव परिणाम बदल दिए जाएं। 

 सीआईडी की 18 अपीलें: जानकारी छिपाने का खेल कर्नाटक सीआईडी ने पिछले 18 महीनों में 18 बार केंद्रीय चुनाव आयोग से डिटेल्स मांगीं। इसमें उन मोबाइल नंबरों, आईपी एड्रेस और कंप्यूटरों की जानकारी शामिल थी, जिनसे फॉर्म एक्सेस किए गए। लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ज्ञानेश कुमार, जो अमित शाह के करीबी माने जाते हैं, जानबूझकर यह जानकारी रोक रहे हैं। अगर ये डिटेल्स मिल जातीं, तो साजिश के मास्टरमाइंड तक पहुंच बन सकती थी, जो संभवतः भाजपा से जुड़े लोग हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, "यह लोकतंत्र की हत्या है। ज्ञानेश कुमार वोट चोरों को बचा रहे हैं, क्योंकि इससे उनके आकाओं का खेल खत्म हो जाएगा।" 

 चुनाव आयोग का बचाव: आरोपों को बताया झूठा चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को "झूठा और बेबुनियाद" करार दिया। आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट से नाम ऑनलाइन डिलीट नहीं होते; हर मामले में वोटर को नोटिस देकर सुनवाई का मौका मिलता है। अगर नाम कटता भी है, तो डीएम या सीईओ के पास अपील की जा सकती है। आयोग ने दावा किया कि कर्नाटक सीआईडी को जरूरी जानकारी पहले ही दे दी गई है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि यह सिर्फ बहाना है, और असल सच्चाई छिपाई जा रही है। 

 राजनीतिक संदर्भ: ज्ञानेश कुमार कौन हैं? ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें फरवरी 2025 में मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया। उनकी नियुक्ति पर ही कांग्रेस ने सवाल उठाए थे, क्योंकि चयन समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी शामिल थे। अब यह मामला बिहार चुनाव से पहले गरमा गया है, जहां राहुल गांधी इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। यह घोटाला न सिर्फ कर्नाटक तक सीमित है, बल्कि महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी इसी तरह की शिकायतें आई हैं। अगर सीआईडी को पूरी जानकारी मिल जाती, तो पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता था। लोकतंत्र की रक्षा के लिए पारदर्शिता जरूरी है, वरना वोटरों का भरोसा टूट जाएगा।