चुनाव सुधारों के लिए समर्पित संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक सदस्यों में से एक, प्रोफेसर जगदीप छोकर का शुक्रवार सुबह 4 बजे हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। राजनीति में पारदर्शिता के प्रबल पैरोकार के रूप में पहचाने जाने वाले छोकर ने अपना शरीर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया था। आईआईएम-अहमदाबाद के रिटायर्ड प्रोफेसर छोकर ने 1999 में सहयोगियों के साथ मिलकर एडीआर की स्थापना की थी। इस संगठन ने भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। एडीआर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रोफेसर छोकर एक सम्मानित शिक्षाविद, नागरिक कार्यकर्ता, वकील, इंजीनियर और संरक्षणवादी थे। उनका जीवन लोकतांत्रिक शासन को मजबूत करने और सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता लाने के लिए समर्पित रहा। वे एक उदार मार्गदर्शक, गहन चिंतक और गर्मजोशी वाले दोस्त थे।” एडीआर ने कई ऐतिहासिक कानूनी लड़ाइयों में अहम भूमिका निभाई। फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया, जिसमें एडीआर एक याचिकाकर्ता था। इसके अलावा, अप्रैल 2024 में एडीआर की याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की जांच और सत्यापन के लिए एक नया सिस्टम लागू किया। प्रोफेसर छोकर की विरासत भारतीय लोकतंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में उनके अथक प्रयासों के रूप में याद की जाएगी।
चुनाव सुधारों के प्रणेता जगदीप छोकर का 81 वर्ष की आयु में निधन