रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 13 सितंबर 2025 को एक शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.1 मापी गई, जिसके बाद पैसिफिक सुनामी वार्निंग सेंटर ने क्षेत्रीय स्तर पर सुनामी का खतरा घोषित कर दिया। एपिसेंटर पेट्रोपावलोवस्क-कामचैट्स्की शहर से लगभग 111 किलोमीटर पूर्व में स्थित था, और भूकंप की गहराई समुद्र तल से करीब 10 किलोमीटर थी। इस उथली गहराई के कारण झटके बेहद तीव्र महसूस हुए, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई। हालांकि, प्रारंभिक रिपोर्ट्स में कोई जानमाल की हानि नहीं बताई गई है, लेकिन अधिकारियों ने तटीय इलाकों में सतर्कता बरतने की सलाह दी। यह घटना कामचटका क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता को रेखांकित करती है, जो प्रशांत महासागर के 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित है। यहां प्लेट टेक्टॉनिक्स की वजह से लगातार भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) ने भूकंप की तीव्रता 7.1 बताई, जबकि यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने इसे 7.4 मापा। पैसिफिक सुनामी वार्निंग सेंटर ने चेतावनी जारी की कि एपिसेंटर से 300 किलोमीटर के दायरे में 1 मीटर तक ऊंची लहरें आ सकती हैं, लेकिन बाद में खतरा टल गया। जापान ने भी कोई अलर्ट जारी नहीं किया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कामचटका का भूकंपीय इतिहास कामचटका द्वीप भूकंपों के लिए कुख्यात है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब यहां इतने तीव्र झटके महसूस हुए हों। 1952 में यहां 9.0 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था, जो रूस का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इसने कुरिल द्वीपसमूह और कामचटका में भयानक तबाही मचाई, और सुनामी ने कई बस्तियों को नेस्तनाबूद कर दिया। अनुमानित 2,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, और हवाई द्वीपसमूह तक लहरें पहुंचीं, जहां 1 मीटर ऊंची तरंगें दर्ज की गईं। इसके अलावा, 2011 में भी 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जो 1952 के भूकंप के स्लिप जोन में ही केंद्रित था। जुलाई 2025 में ही 8.8 तीव्रता का एक मेगाथ्रस्ट भूकंप आया था, जिसने पूरे प्रशांत क्षेत्र में सुनामी अलर्ट जारी कर दिए थे। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि कामचटका का कुरिल-कामचटका ट्रेंच क्षेत्र प्लेटों के टकराव के कारण अत्यधिक संवेदनशील है। ## वैश्विक संदर्भ: अफगानिस्तान का हालिया भूकंप कुछ ही दिनों पहले, 31 अगस्त 2025 को अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र कुнар प्रांत के नुर्गल जिले में था। इसने लगभग 3,000 लोगों की जान ले ली और 4,000 से अधिक घायल हुए। हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला में स्थित यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से प्रभावित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 362 गांव अभी भी पहुंच से बाहर हैं, और सहायता पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे मध्यम तीव्रता के भूकंप भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों में विनाशकारी साबित हो सकते हैं। ## भारत की स्थिति: भूकंपीय संवेदनशीलता और चुनौतियां भारत भी भूकंपों के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील देश है। देश का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा भूकंपीय जोखिम में आता है, खासकर हिमालयी क्षेत्र जहां भारतीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ रही है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने देश को चार सिस्मिक जोन में विभाजित किया है: जोन II (कम जोखिम), जोन III (मध्यम), जोन IV (उच्च), और जोन V (बहुत उच्च)। जोन V में हिमालय, पूर्वोत्तर राज्य, गुजरात और अंडमान-निकोबार शामिल हैं, जहां 8 या अधिक तीव्रता के भूकंप की संभावना रहती है। नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच भारत में 159 भूकंप दर्ज किए गए, जिनमें से कई 3.0 से 4.9 तीव्रता के थे। 2020 से 2024 तक M3.0 से M4.9 के भूकंपों में वृद्धि देखी गई है, जो बेहतर निगरानी नेटवर्क के कारण हो सकती है। दिल्ली जैसे शहर भी जोन IV में आते हैं, और हाल के झटकों ने तैयारी की कमियों को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत भवन निर्माण, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और जन जागरूकता से नुकसान कम किया जा सकता है। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत को अपनी बुनियादी ढांचा को मजबूत करने की आवश्यकता है। वैश्विक घटनाएं जैसे रूस और अफगानिस्तान के भूकंप हमें सतर्क रहने की याद दिलाती हैं कि प्रकृति की शक्ति के आगे मानव तैयारी ही एकमात्र रक्षा है।