नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में गुरुवार को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान उमर खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ पेश किए गए सबूत फर्जी हैं और जांच एजेंसी ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि 2019 के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान 20 लोगों ने दंगों की साजिश रची थी। पुलिस ने अदालत में सबूत पेश किए हैं, जिनके आधार पर इन लोगों पर आतंकवाद, हत्या और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सुनवाई के दौरान उमर खालिद ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने की मांग की। उनके वकील ने इसे “मजाक” करार देते हुए कहा कि आरोपों और सबूतों के बीच कोई तारतम्य नहीं है। पाइस ने दावा किया कि दंगों के समय उमर खालिद दिल्ली में मौजूद नहीं थे। उन्होंने जांच एजेंसी पर सबूत गढ़ने और व्यक्तियों को फंसाने का आरोप भी लगाया। वकील ने अदालत के उन पुराने आदेशों का हवाला दिया, जिनमें पुलिस की जांच और गवाहों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे। उनके मुताबिक, उमर खालिद के मामले में भी यही रवैया अपनाया जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद सहित नौ अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब कुछ अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।
दिल्ली दंगे: उमर खालिद के वकील ने एफआईआर को बताया ‘मजाक’, सबूतों पर उठाए सवाल