दुनियाभर में इज़राइली पासपोर्ट धारकों और राजदूतों के खिलाफ बढ़ता गुस्सा अब सड़कों, रेस्तरां और विश्वविद्यालयों तक पहुंच गया है। कई देशों में लोग खुले तौर पर इज़राइली अधिकारियों का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें वे ग़ज़ा में बच्चों की हत्या और युद्ध अपराधों का ज़िम्मेदार मानते हैं। यह वैश्विक आक्रोश एक तरह का "विश्व शर्म यात्रा" बन गया है, जहां इज़राइली प्रतिनिधियों को फिलिस्तीनी झंडों और नारों के साथ बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
दक्षिण कोरिया: "कातिलों को खाना नहीं परोसते!"
सियोल में एक कोरियाई रेस्तरां में स्थानीय नागरिकों ने इज़राइली राजदूत को देखकर तीखा विरोध जताया। "यहां आदमखोरों के लिए जगह नहीं!" कहते हुए उन्होंने राजदूत को फिलिस्तीनी झंडों के साथ दरवाजे तक पहुंचाया। कोरियाई लोगों ने साफ कर दिया कि वे युद्ध अपराधों को बढ़ावा देने वालों का स्वागत नहीं करेंगे।
ग्रीस: "सैनिकों को नो एंट्री!"
एथेंस के एक कैफे ने साफ शब्दों में इज़राइली सैनिकों को प्रवेश से मना कर दिया। कैफे के बाहर लगे पोस्टर में लिखा था, "इज़राइली सैनिक युद्ध अपराधी हैं, प्रवेश वर्जित!" ग्रीक नागरिकों ने अपनी ऐतिहासिक स्मृति को ताज़ा करते हुए नाज़ी कब्जे की तुलना इज़राइली कार्रवाइयों से की, यह साबित करते हुए कि वे कब्ज़ाधारियों को कभी भूलते नहीं।
अफ्रीका: "बच्चों के हत्यारों का स्वागत नहीं!"
इथियोपिया में अफ्रीकी संघ की बैठक में इज़राइली राजदूत को "शांति और मित्रता" का भाषण देने का मौका नहीं मिला। उन्हें तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया गया। अफ्रीकी देशों ने ग़ज़ा में इज़राइल की कार्रवाइयों को नहीं भुलाया है और साफ कर दिया कि बच्चों के हत्यारों के लिए उनके यहां कोई जगह नहीं।
लैटिन अमेरिका: "विश्वविद्यालय अपराध को बढ़ावा नहीं देते!"
पनामा के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ने भी इज़राइली राजदूत को बाहर का रास्ता दिखाया। यह घटना दर्शाती है कि लैटिन अमेरिका में भी लोग युद्ध अपराधियों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। दुनियाभर में यह सिलसिला जारी है। कोरिया से ग्रीस, अफ्रीका से लैटिन अमेरिका तक, लोग एक स्वर में कह रहे हैं, "बच्चों के हत्यारों को कोई जगह नहीं!" इज़राइल इसे "ज़ायोनी-विरोधी प्रचार" कहकर खारिज करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वैश्विक जनता का गुस्सा साफ है: निर्दोषों की हत्या को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक इज़राइली कार्रवाइयों पर लगाम नहीं लगती और दुनिया से अन्याय का खात्मा नहीं होता।