उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में शुक्रवार रात एक सनसनीखेज घटना ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। स्थानीय भाजपा युवा नेता और टीवीएस शोरूम मालिक, 25 वर्षीय अभिषेक गुप्ता की बस स्टैंड पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने योगी सरकार के 'राम राज्य' और 'गुंडा-मुक्त' प्रदेश के दावों को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
घटना का विवरण अभिषेक गुप्ता, सिकंदराराऊ तहसील के कचौरा गांव के निवासी, शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे अपने पिता नीरज गुप्ता और चचेरे भाई जीतू के साथ खेरेश्वर मंदिर चौराहे पर रोडवेज बस में सवार होने जा रहे थे। जैसे ही वे बस के दरवाजे पर पहुंचे, बाइक सवार दो हमलावरों ने अभिषेक पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। चेहरे पर गोली लगने से अभिषेक मौके पर ही ढेर हो गए। उन्हें जेएन मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित किया गया। हमलावर मौके से फरार हो गए, और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई तत्काल कार्रवाई नहीं हो सकी।
परिजनों का आरोप: साजिश के तार हिंदू महासभा तक परिजनों ने हत्या का आरोप महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती उर्फ पूजा शकुन पांडेय और उनके पति अशोक पांडेय पर लगाया है। अभिषेक के छोटे भाई आशीष ने थाने में दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें दावा किया गया कि पुराने रुपये-पैसे के लेन-देन के विवाद में पूजा और अशोक लंबे समय से अभिषेक को धमकियां दे रहे थे। आशीष ने कहा, "भाई ने हमें बताया था कि ये लोग उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं। हमने पहले भी शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया।" घटना के बाद परिजनों ने हंगामा किया, मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
पूजा शकुन पांडेय: विवादों की शख्सियत पूजा शकुन पांडेय अखिल भारत हिंदू महासभा की नेत्री हैं और पहले भी कई विवादों में रही हैं। 2019 में उन्होंने महात्मा गांधी के पुतले पर टॉय पिस्टल से गोली चलाकर सुर्खियां बटोरी थीं। नाथूराम गोडसे को 'भगवान कृष्ण' से तुलना करने और तबलीगी जमात पर विवादित टिप्पणी करने के लिए उनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है। अब इस हत्याकांड में उनका नाम सामने आने से एक बार फिर सियासी हलकों में हड़कंप मच गया है।
अभिषेक का राजनीतिक रुख: विडंबना की त्रासदी अभिषेक गुप्ता न केवल एक युवा व्यवसायी थे, बल्कि भाजपा युवा मोर्चा के सक्रिय सदस्य भी थे। सोशल मीडिया पर वे अक्सर योगी सरकार की तारीफ करते और दावा करते थे कि "उत्तर प्रदेश से गुंडे-माफिया पलायन कर चुके हैं, और कुछ घटनाएं विपक्ष की साजिश हैं।" उनकी हत्या ने उनके इन दावों को विडंबनापूर्ण बना दिया। परिजनों और समर्थकों का सवाल है कि अगर प्रदेश में राम राज्य है, तो अभिषेक की हत्या पुलिस की नाक के नीचे कैसे हो गई?
पुलिस की चुप्पी, बुलडोजर की खामोशी अलीगढ़ पुलिस ने मामले की जांच शुरू की है और सीसीटीवी फुटेज खंगालने का दावा किया है। मगर अभी तक न तो कोई गिरफ्तारी हुई है, न ही आरोपियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई दिखी है। परिजनों का आरोप है कि न तो आरोपियों के घर पर बुलडोजर चला, न उनके पैरों में गोली लगी, और न ही इस घटना के खिलाफ कोई बड़ा विरोध हुआ। यह सवाल उठता है कि क्या योगी सरकार का 'बुलडोजर मॉडल' चुनिंदा मामलों तक सीमित है?
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया बनिया समाज संगठन ने इस हत्या की निंदा की है, लेकिन कुछ लोग इसे सियासी रंग देने की कोशिश में जुटे हैं। विपक्षी दलों ने इसे 'जंगलराज' का उदाहरण बताकर सरकार पर हमला बोला है। वहीं, स्थानीय लोग डर के साये में हैं। अभिषेक की मौत ने न केवल उनके परिवार को झकझोर दिया, बल्कि पूरे इलाके में असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया।
निष्कर्ष अभिषेक गुप्ता की हत्या ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या यह केवल एक निजी विवाद का परिणाम है, या इसके पीछे गहरी सियासी साजिश है? पुलिस की जांच और भविष्य की कार्रवाई ही इस सवाल का जवाब देगी। फिलहाल, अभिषेक के परिवार का दुख और समाज का आक्रोश सड़कों पर साफ दिखाई दे रहा है। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।