लद्दाख में राज्यhood और छठी अनुसूची की मांग को लेकर पिछले तीन महीनों से चली आ रही शांतिपूर्ण आंदोलन की चिंगारी ने मंगलवार को हिंसा का रूप ले लिया। लेह में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस हिंसा का सारा दोष पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर फोड़ा है, जबकि वांगचुक ने इसे सरकार की 'नाकामी' का नतीजा बताया है।
लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पुरानी तस्वीर ने इस पूरे विवाद को और तीखा कर दिया है—एक ऐसी तस्वीर जो वांगचुक को 'डीप स्टेट' एजेंट बताने का हथियार बनी हुई है, लेकिन उसी तर्क से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाने पर ला रही है। सोनम वांगचुक, जो '3 इडियट्स' फिल्म के फूंशुक वांगड़ू चरित्र के लिए प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं, ने 10 सितंबर से अनशन शुरू किया था। उनकी मांग थी लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लिए संवैधानिक सुरक्षा। अनशन के दौरान उन्होंने नेपाल और बांग्लादेश जैसे देशों के युवा आंदोलनों का जिक्र किया, जिसे सरकार ने 'उकसावे वाली' बयानबाजी करार दिया। गृह मंत्रालय की प्रेस रिलीज में कहा गया, "वांगचुक के भड़काऊ बयानों से उकसाए गए भीड़ ने सरकारी कार्यालयों पर हमला किया। यह हिंसा पूर्वनियोजित थी, और कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित लोग हाई-पावर्ड कमिटी की चल रही वार्ताओं से नाखुश थे।"
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की, जिसमें मौतें हुईं। लेकिन वांगचुक का पक्ष अलग है। उन्होंने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "शांतिपूर्ण विरोध को सरकार ने हिंसा में बदल दिया। युवाओं ने कहा कि बातचीत से कुछ नहीं हो रहा, इसलिए वे सड़कों पर उतर आए। हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा होगा।" उन्होंने अनशन समाप्त कर शांति की अपील की और कहा कि आगे की अस्थिरता सीमा पर खतरा पैदा कर सकती है।
लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया है, और कर्गिल जैसे इलाकों में भी सख्ती बरती जा रही है। अब आते हैं सोशल मीडिया के उस 'वायरल फोटो' पर, जो इस ड्रामे का केंद्र बिंदु बन गया है। X (पूर्व ट्विटर) पर सैकड़ों पोस्ट्स में वांगचुक की एक तस्वीर शेयर हो रही है, जिसमें उन्हें किसी कथित 'डीप स्टेट' या विदेशी ताकतों से जुड़ा बताया जा रहा है। कुछ यूजर्स इसे सांप जैसा दिखाने वाली इमेजरी से जोड़ रहे हैं, जबकि अन्य इसे कांग्रेस या चीन से लिंक कर रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, "सोनम वांगचुक डीप स्टेट का जासूस है, कभी भरोसा मत करना।" एक अन्य में कहा गया, "उनके पिता कांग्रेस मंत्री थे, अब चीनी हितों की सेवा कर रहे हैं।" लेकिन यही तर्क उल्टा पड़ जाता है। वही फोटो या इसी तरह की इमेजरी का इस्तेमाल उन 'पेड अंडे' (भक्तों) पर भी लागू होता है जो वांगचुक पर हमलावर हैं। सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर वायरल है—जिसमें प्रधानमंत्री मोदी किसी दान-पत्र या सहायता कार्यक्रम में अनाज, दाल और अंडे जैसी चीजें बांटते नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर 2020 के लद्दाख संकट के दौरान की है, जब केंद्र सरकार ने सीमा पर तैनात सैनिकों और स्थानीय लोगों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। आलोचक पूछ रहे हैं: "अगर सोनम को इस फोटो से 'सोरस' (सॉ罗斯) या विदेशी लिंक बताते हो, तो मोदी जी का यह 'अंडा-दाल भिजवाना' क्या है? कभी इस पर भी बोलो!" यह दोहरी तौल ने बहस को और गरमा दिया है। विपक्षी नेता प्रशांत भूषण ने एक वीडियो शेयर कर कहा, "सरकार सोनम को सताने पर तुली है, जबकि लद्दाख की मांगें जायज हैं।"
वहीं, बीजेपी समर्थक इसे 'कांग्रेस की साजिश' बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद लद्दाख की वास्तविक समस्याओं—जैसे पर्यावरण संरक्षण, भूमि अधिकार और सीमा सुरक्षा—को ढक रहा है। वांगचुक का हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग भी विवादों में घिरा, जब स्थानीय प्रशासन ने 135 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द कर दिया। कुल मिलाकर, लद्दाख हिंसा ने एक बार फिर राजनीतिक पाखंड उजागर कर दिया। जहां एक तरफ सरकार वांगचुक को 'भड़काने वाला' बता रही है, वहीं सोशल मीडिया की ये दो तस्वीरें बता रही हैं कि आरोप-प्रत्यारोप का खेल दोनों तरफ चल रहा है। सवाल यह है: क्या ये ड्रामा लद्दाख की पीड़ा को हल करेगा, या सिर्फ वोट बैंक की राजनीति को मजबूत करेगा? केंद्र की अगली मीटिंग 6 अक्टूबर को है—शायद तब तक शांति लौट आए।