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Saturday, 27 September 2025

ईरान पर यूएन स्नैपबैक प्रतिबंधों की वापसी: ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी का संयुक्त बयान, तीसरे देशों से अपील की बातचीत जारी रखने की

ईरान पर यूएन स्नैपबैक प्रतिबंधों की वापसी: ब्रिटेन-फ्रांस-जर्मनी का संयुक्त बयान, तीसरे देशों से अपील की बातचीत जारी रखने की
लंदन/पेरिस/बर्लिन, 28 सितंबर 2025

 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के तहत 'स्नैपबैक' तंत्र सक्रिय होने के बाद ईरान पर पुराने प्रतिबंध फिर से लागू हो गए हैं। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (ई3 समूह) ने शनिवार को संयुक्त बयान जारी कर ईरान से किसी भी आक्रामक कार्रवाई से बचने की अपील की है। तीनों देशों ने कहा कि ईरान के "परमाणु कार्यक्रम के विस्तार" और सहयोग की कमी के कारण उनके पास "कोई विकल्प नहीं बचा" था, और यह "आखिरी उपाय" के तौर पर उठाया गया कदम है। 
 प्रतिबंधों की बहाली: स्नैपबैक प्रक्रिया का पूरा होना 27 सितंबर 2025 को रात 8 बजे (ईडीटी) से प्रभावी हुए इन प्रतिबंधों में 2006 से 2010 के बीच पारित छह सुरक्षा परिषद प्रस्ताव (1696, 1737, 1747, 1803, 1835 और 1929) शामिल हैं। ये प्रतिबंध ईरान के परमाणु प्रसार गतिविधियों से जुड़े हैं, जिसमें हथियारों पर रोक, बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर पाबंदी और संपत्ति जब्ती जैसे कदम शामिल हैं। ई3 ने जुलाई 2025 में ईरान को प्रस्ताव दिया था कि अगर वह अमेरिका के साथ सीधी बातचीत फिर शुरू करे, आईएईए निरीक्षकों को पूर्ण पहुंच दे और उच्च संवर्धित यूरेनियम भंडार को कम करे, तो स्नैपबैक को छह महीने बढ़ाया जा सकता है। लेकिन ईरान ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिसके बाद 28 अगस्त को प्रक्रिया शुरू की गई। 19 सितंबर को सुरक्षा परिषद में रूस-चीन का प्रस्ताव (प्रतिबंधों को छह महीने टालने का) असफल रहा, जिससे स्नैपबैक अनिवार्य हो गया। ई3 ने बयान में कहा, "ये प्रतिबंध नए नहीं हैं; ये पहले लागू थे और जेसीपीओए (संयुक्त व्यापक कार्य योजना) के तहत हटाए गए थे। ईरान की लगातार गैर-अनुपालन के कारण हमने यह कदम उठाया।" तीनों देशों ने सभी सदस्य राज्यों से इन प्रस्तावों का पूर्ण पालन करने की अपील की है।

ईरान का कड़ा विरोध: राष्ट्रपति पेजेश्कियन की प्रतिक्रिया ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने पिछले सप्ताह जोर देकर कहा था कि ईरान का परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने प्रतिबंधों को "अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी" बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र को "जलाने" का प्रयास है। ईरान ने यूएन के पास शिकायत दर्ज कराई है और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। ईरान का कहना है कि वह "निष्पक्ष और संतुलित" बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन दूसरे पक्षों को "गंभीरता और सद्भावना" दिखानी होगी। परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने कहा कि ईरान परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) से बाहर नहीं निकलेगा, लेकिन प्रतिबंधों के जवाब में कदम उठा सकता है। ईरान का यूरेनियम भंडार 2015 के समझौते की सीमा से 45 गुना अधिक है, हालांकि 90% हथियार-ग्रेड संवर्धन का कोई सबूत नहीं मिला है। 

कूटनीतिक रास्ता: बातचीत जारी रखने की अपील ई3 के संयुक्त बयान में ईरान से "रचनात्मक कूटनीति" में भाग लेने और परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी चिंताओं को हल करने की अपील की गई है। तीनों देशों ने कहा कि वे शांति पूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं, और यूएन महासभा के दौरान और बातचीत हो सकती है। ब्रिटेन की यूएन राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, "हमारे मांगें उचित और व्यावहारिक थीं।" फ्रांस, जर्मनी और यूके के विदेश मंत्री ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को पत्र लिखकर प्रक्रिया की जानकारी दी। यह कदम 2015 के जेसीपीओए को बचाने की कोशिशों का हिस्सा है, जो 2018 में अमेरिका के एकतरफा बाहर निकलने के बाद बिगड़ गया। ईरान ने जवाब में अपनी परमाणु गतिविधियां बढ़ा दीं। रूस और चीन ने ईरान का समर्थन किया है, लेकिन स्नैपबैक की समय सीमा (अक्टूबर 2025 तक) के कारण ई3 को अब कार्रवाई करनी पड़ी। 

वैश्विक प्रभाव: क्षेत्रीय तनाव बढ़ने का खतरा इन प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा, जो पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ सकता है, खासकर इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच। आईएईए ने ईरान से निरीक्षकों को फिर से प्रवेश की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से संयम बरतने को कहा है। ई3 का यह कदम परमाणु अप्रसार के वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने का प्रयास है, लेकिन ईरान की प्रतिक्रिया पर नजरें टिकी हैं। क्या बातचीत फिर शुरू होगी या तनाव और बढ़ेगा? समय ही बताएगा।