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Tuesday, 16 September 2025

प्रशांत किशोर का तंज: पीएम मोदी और राहुल गांधी बिहार में सिर्फ गाली-गलौज करते हैं, समस्याओं पर चुप

प्रशांत किशोर का तंज: पीएम मोदी और राहुल गांधी बिहार में सिर्फ गाली-गलौज करते हैं, समस्याओं पर चुप
पटना: जन सुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि दोनों नेता बिहार आकर केवल एक-दूसरे के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन राज्य की ज्वलंत समस्याओं जैसे पलायन, बाढ़ और औद्योगिक पिछड़ेपन पर कोई ठोस बात नहीं करते। प्रशांत किशोर ने एक हालिया बयान में कहा, "पीएम मोदी बिहार आएंगे तो राहुल गांधी और लालू यादव को गाली देंगे। राहुल गांधी आएंगे तो मोदी को गाली देंगे। लेकिन इनमें से कोई यह नहीं बताता कि बिहार से पलायन कब रुकेगा? बाढ़ की समस्या का समाधान कब होगा? बिहार में कारखाने और रोजगार के अवसर क्यों नहीं बढ़ रहे?" 

बिहार की समस्याओं पर सवाल किशोर ने बिहार की बदहाली को रेखांकित करते हुए नेताओं की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि दोनों नेता अपनी रैलियों में व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त रहते हैं, लेकिन बिहार की जनता के लिए कोई ठोस योजना या विजन पेश नहीं करते। बिहार में हर साल बाढ़ से होने वाली तबाही, रोजगार की कमी के कारण बड़े पैमाने पर पलायन और औद्योगिक विकास की कमी जैसे मुद्दे दशकों से अनसुलझे हैं। 

जन सुराज का दृष्टिकोण जन सुराज पार्टी के जरिए बिहार की राजनीति में एक नया विकल्प पेश करने की कोशिश कर रहे किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी इन समस्याओं के समाधान पर ध्यान दे रही है। उन्होंने नेताओं से अपील की कि वे जनता के सामने अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को रखें, न कि केवल एक-दूसरे की आलोचना करें। 

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं किशोर के इस बयान पर अभी तक पीएम मोदी या राहुल गांधी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में इस बयान ने चर्चा छेड़ दी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि किशोर का यह बयान बिहार की जनता की नब्ज को पकड़ने की कोशिश है, जो लंबे समय से विकास की बाट जोह रही है। यह बयान बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, जहां नेताओं को अब जवाबदेही और ठोस समाधानों की ओर ध्यान देना होगा। किशोर का यह कथन न केवल राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल उठाता है, बल्कि बिहार की जनता को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या उनके मुद्दे वास्तव में नेताओं की प्राथमिकता में हैं।