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Saturday, 13 September 2025

नो रोड, नो टोल: कच्छ के ट्रांसपोर्टरों की चक्काजाम हड़ताल, बंदरों का काम ठप

नो रोड, नो टोल: कच्छ के ट्रांसपोर्टरों की चक्काजाम हड़ताल, बंदरों का काम ठप
कच्छ, गुजरात: कच्छ जिले में सड़कों की जर्जर स्थिति के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों ने 'नो रोड, नो टोल' के नारे के साथ चक्काजाम हड़ताल शुरू कर दी है। शुक्रवार सुबह से कच्छ-सौराष्ट्र को जोड़ने वाले सामखियाली टोल नाके पर आंदोलन शुरू हो गया, जिससे परिवहन और बंदरों का काम प्रभावित हो रहा है। कच्छ में राज्य के सबसे अधिक टोल नाकों में से एक है, जहां रोजाना करीब चार करोड़ रुपये से अधिक टोल टैक्स वसूला जाता है। इसके बावजूद सड़कों की हालत अत्यंत खराब है। खस्ताहाल सड़कों के कारण भारी माल ढोने वाले ट्रांसपोर्टरों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्ट संगठनों ने सत्ताधारियों से बार-बार सड़क मरम्मत की मांग की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 

हड़ताल का प्रभाव

कच्छ में सैकड़ों ट्रकों के पहिए थम गए हैं, जिससे परिवहन क्षेत्र, जो जिले में रोजगार का प्रमुख स्रोत है, बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सात टोल नाकों से प्रतिदिन करोड़ों रुपये का टोल वसूलने के बावजूद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सड़कों की मरम्मत में नाकाम रही है। ट्रक ओनर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नवघनभाई आहिर ने बताया कि पिछले साल भी मोखा चौकी पर इसी मुद्दे को लेकर हड़ताल की गई थी। तब आश्वासन मिला था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 
              आंदोलन का स्वरूप

ट्रांसपोर्टरों ने चेतावनी दी है कि जब तक सड़कों की स्थिति नहीं सुधरेगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। कच्छ के सात टोल नाकों से सालाना लगभग एक हजार करोड़ रुपये की आय होती है, लेकिन सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है। रोजाना होने वाली दुर्घटनाओं में कई लोग जान गंवा रहे हैं, और 5-7 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। खराब सड़कों से वाहनों को भी नुकसान पहुंच रहा है। 

समर्थन और चेतावनी

गांधीधाम चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। इसमें कच्छ डिस्ट्रिक्ट डंपर ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन, टैंकर ओनर एंड ऑपरेटर्स एसोसिएशन, कांडला मुंद्रा कंटेनर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन, और अन्य शामिल हैं। सामाजिक संगठन, व्यापारी और आम नागरिक भी इस आंदोलन के साथ हैं। ट्रांसपोर्टरों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन यदि एनएचएआई की उदासीनता जारी रही तो इसे और उग्र किया जाएगा। 

आर्थिक प्रभाव।

 इस हड़ताल से कच्छ के बंदरों पर परिवहन और छोटे-बड़े उद्योगों पर गंभीर असर पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि यदि यह हड़ताल लंबी चली तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। ट्रांसपोर्टरों ने प्रशासन से तत्काल सड़क सुधार की मांग की है, ताकि परिवहन सुचारू हो और आर्थिक नुकसान को रोका जा सके।