रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युक्रेन में चल रहे युद्ध को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि समझदारी से काम लिया जाए, तो अभी भी बातचीत के जरिए युद्ध को समाप्त करने का मौका है। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर मॉस्को सैन्य कार्रवाई के माध्यम से युद्ध को खत्म करेगा।
चीन से लौटते ही पुतिन की चेतावनी
चीन के साथ नई गैस पाइपलाइन के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद बुधवार को बीजिंग में पुतिन ने युक्रेन को चेतावनी देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि यदि समझदारी से काम लिया जाए, तो इस संघर्ष को खत्म करने के लिए सर्वस्वीकार्य समाधान पर सहमति हो सकती है। मेरा यही मानना है। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हमें सभी चुनौतियों का समाधान सैन्य कार्रवाई के जरिए करना होगा।"
पुतिन ने अपनी मांगों में बदलाव नहीं किया
शांति की बात करने के बावजूद पुतिन ने रूस की लंबे समय से चली आ रही मांगों में कोई बदलाव नहीं किया। इनमें युक्रेन का नाटो में शामिल होने की इच्छा छोड़ना और रूसी भाषी लोगों के प्रति भेदभाव खत्म करना शामिल है। पुतिन ने कहा, "मैं मॉस्को में युक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से मिलने को तैयार हूं, बशर्ते बातचीत सार्थक हो और ठोस परिणाम दे।" हालांकि, कीव ने मॉस्को को बातचीत के लिए स्थान के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया और युक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इस विचार को अस्वीकार्य बताया। **शांति वार्ता और प्रतिबंधों की तलवार** ज़ेलेंस्की ने वाशिंगटन और यूरोपीय देशों से रूस पर और सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की है और पुतिन के साथ सीधी बातचीत पर जोर दिया है। इस बीच, ट्रम्प ने नेताओं को मिलने के लिए प्रोत्साहित किया है और चेतावनी दी है कि यदि कूटनीतिक प्रयास विफल रहे, तो रूस पर और प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। पुतिन ने जोर देकर कहा, "यदि संभव हो तो हम युद्ध को शांतिपूर्ण तरीकों से हल करना चाहेंगे, लेकिन रूस अपनी मांगों को नहीं छोड़ेगा।" इन मांगों में चार युक्रेनी क्षेत्रों पर कब्जा शामिल है, जिन्हें कीव और पश्चिमी देश गैरकानूनी कब्जा मानकर खारिज करते हैं।