2025 के मानसून ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी तबाही मचाई है। बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने इन राज्यों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि, केंद्र सरकार की राहत नीतियों को लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर में असंतोष बढ़ रहा है। आरोप है कि जहां हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को विशेष राहत पैकेज और त्वरित सहायता मिल रही है, वहीं पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए केंद्र ने न केवल पुराने फंड्स रिलीज करने में देरी की है, बल्कि विशेष राहत पैकेज की घोषणा भी नहीं की है। आइए, इस मुद्दे का विस्तार से विश्लेषण करें।
पंजाब: पुराने फंड्स और विशेष पैकेज का इंतजार
पंजाब में सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के उफान के कारण 23 जिलों के 1,400 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। 29 लोगों की मौत और 2.56 लाख से अधिक लोगों का विस्थापन हुआ है, साथ ही 3 लाख एकड़ से अधिक फसल बर्बाद हुई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये के रुके हुए फंड्स और किसानों के लिए प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजे की मांग की है। विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह, ने भी विशेष राहत पैकेज की मांग उठाई है।
केंद्र ने पंजाब को 2025-26 के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के तहत 10,498.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, लेकिन विशेष राहत पैकेज की घोषणा नहीं हुई है। पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) पर समय पर पानी न छोड़ने का आरोप लगाया, जिसके कारण बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई। पंजाब के नेताओं का कहना है कि केंद्र का रवैया भेदभावपूर्ण है, क्योंकि पुराने फंड्स की रिलीज में देरी और विशेष पैकेज की अनुपस्थिति से राहत कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर: बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए सीमित सहायता
जम्मू-कश्मीर में भी भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने रामबन, रियासी और किश्तवाड़ जैसे क्षेत्रों में तबाही मचाई है। 224 आवासीय घर क्षतिग्रस्त हुए, और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को भारी नुकसान पहुंचा। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रत्येक डिप्टी कमिश्नर को बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, लेकिन यह राशि केंद्र से नहीं, बल्कि राज्य के संसाधनों से दी गई है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए SDRF के तहत 10,498.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, लेकिन विशेष राहत पैकेज की कोई घोषणा नहीं हुई है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि केंद्र का सहयोग अपर्याप्त है, और रुके हुए फंड्स की रिलीज में देरी से पुनर्वास कार्य बाधित हो रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड: विशेष पैकेज और त्वरित कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी बाढ़ और भूस्खलन ने भारी नुकसान पहुंचाया है। हिमाचल में 3,040 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, और पूरा राज्य "आपदाग्रस्त" घोषित किया गया है। केंद्र सरकार ने हिमाचल के लिए 2,200 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया है, जैसा कि बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने बताया। यह राशि पुनर्निर्माण, राहत कार्यों और बुनियादी ढांचे की मरम्मत के लिए उपयोग की जाएगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र से और विशेष पैकेज की मांग की है, लेकिन उनका कहना है कि केंद्र ने रूटीन सहायता के अलावा कोई अतिरिक्त मदद नहीं दी।
उत्तराखंड में भी बादल फटने और भूस्खलन ने चमोली, उत्तरकाशी और देहरादून जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया है। केंद्र ने SDRF के तहत 10,498.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, और अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) नुकसान का आकलन कर रही है। उत्तराखंड सरकार ने केंद्र से विशेष पैकेज की मांग की है, और राहत कार्यों में भारतीय सेना, NDRF और SDRF की टीमें सक्रिय हैं। केंद्र की त्वरित प्रतिक्रिया और IMCT की तैनाती से उत्तराखंड में राहत कार्यों को गति मिली है।
केंद्र का भेदभावपूर्ण रवैया: कारण और आलोचना
पंजाब और जम्मू-कश्मीर के नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार का रवैया इन राज्यों के प्रति भेदभावपूर्ण है। इसके पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
राजनीतिक मतभेद
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) और जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकारें हैं, जो केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी से वैचारिक रूप से भिन्न हैं। दूसरी ओर, हिमाचल में कांग्रेस और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकारें हैं, जो केंद्र के साथ बेहतर समन्वय रखती हैं।
आर्थिक प्राथमिकताएं
केंद्र सरकार का ध्यान हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों पर अधिक है, क्योंकि इन राज्यों में बुनियादी ढांचे का नुकसान पर्यटन और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। पंजाब में फसलों का नुकसान, हालांकि गंभीर है, को शायद कम प्राथमिकता दी जा रही है।
रुके हुए फंड्स
पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए रुके हुए फंड्स, जैसे ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचे के लिए आवंटन, को रिलीज करने में देरी की शिकायतें हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री ने 60,000 करोड़ रुपये के रुके फंड्स का मुद्दा उठाया है, लेकिन केंद्र ने इस पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
विपक्ष और जनता की नाराजगी
पंजाब में विपक्षी दलों ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि वह भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के जरिए बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रही। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय नेताओं का कहना है कि केंद्र का सहयोग केवल औपचारिकताओं तक सीमित है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी केंद्र से विशेष पैकेज की कमी पर नाराजगी जताई है, लेकिन 2,200 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा से हिमाचल को कुछ राहत मिली है।
केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए त्वरित राहत पैकेज और IMCT की तैनाती जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष पैकेज की घोषणा और रुके हुए फंड्स की रिलीज में देरी ने भेदभाव के आरोपों को हवा दी है। पंजाब में किसानों और बाढ़ पीड़ितों की स्थिति गंभीर है, और जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए तत्काल सहायता की जरूरत है। केंद्र को इन राज्यों की मांगों पर ध्यान देकर निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि प्रभावित लोगों को समय पर राहत मिल सके।