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Saturday, 20 September 2025

बगराम एयरबेस वापस दो वरना परिणाम भुगतोगे... अफगानिस्तान को ट्रंप की खुली धमकी

बगराम एयरबेस वापस दो वरना परिणाम भुगतोगे... अफगानिस्तान को ट्रंप की खुली धमकी
वॉशिंगटन, 21 सितंबर 2025 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान को खुली धमकी देते हुए कहा है कि यदि तालिबान बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस नहीं सौंपता, तो "बुरे परिणाम" भुगतने होंगे। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए चेतावनी दी, "अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को उसके निर्माणकर्ता अमेरिका को वापस नहीं देता, तो BAD THINGS ARE GOING TO HAPPEN!!!" यह बयान तब आया है जब ट्रंप ने हाल ही में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सैन्य अड्डे को वापस लेने की कोशिशों का जिक्र किया। बगराम एयरबेस अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और रणनीतिक महत्व का सैन्य हवाई अड्डा है, जो काबुल से करीब 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। सोवियत संघ द्वारा 1950 के दशक में बनाया गया यह अड्डा 2001 में अमेरिकी सेना ने कब्जा किया था और अगले 20 वर्षों तक अफगानिस्तान युद्ध का मुख्य केंद्र रहा। यहां पर भारी कंक्रीट और स्टील से बने 3.6 किलोमीटर लंबे रनवे पर बड़े बॉम्बर विमान और कार्गो प्लेन उतर सकते थे। 2021 में अमेरिकी वापसी के दौरान जो बाइडेन प्रशासन ने इसे तालिबान के हवाले कर दिया था, जिसे ट्रंप ने "बेकार में दे दिया" बताते हुए आलोचना की है। ट्रंप का यह बयान चीन के प्रति अमेरिकी चिंताओं से जुड़ा हुआ लगता है। उन्होंने कहा कि बगराम एयरबेस चीन की परमाणु मिसाइल निर्माण सुविधाओं से महज एक घंटे की दूरी पर है, इसलिए इसे वापस लेना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। फरवरी में कैबिनेट बैठक में ट्रंप ने स्पष्ट किया था, "हम अफगानिस्तान के कारण नहीं, बल्कि चीन के कारण बगराम रखना चाहते थे।" विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को फिर से मजबूत करने की दिशा में हो सकता है, जिसमें 10,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती और उन्नत हवाई रक्षा प्रणालियों की जरूरत पड़ सकती है। तालिबान ने ट्रंप की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाली ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "अफगानिस्तान और अमेरिका को आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर आर्थिक व राजनीतिक संबंध बनाने चाहिए।" एक अन्य उपमंत्री मुहाजिर फराही ने कविता के अंश उद्धृत कर तंज कसा, "जिन्होंने हमारे साथ सिर फोड़ा था, उनका दिमाग अभी भी शांत नहीं हुआ। बगराम, अफगानिस्तान।" तालिबान ने अमेरिकी दूतों से बातचीत जारी रखी है, लेकिन बगराम पर कोई समझौता नहीं होने के संकेत दिए हैं। ट्रंप प्रशासन पिछले कई महीनों से चुपचाप इस मुद्दे पर काम कर रहा है। सीएनएन के अनुसार, तीन सूत्रों ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को तालिबान से बगराम वापस लेने के तरीके खोजने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, "हम अफगानिस्तान से बात कर रहे हैं और हम इसे जल्द वापस चाहते हैं।" हालांकि, उन्होंने सैनिक भेजकर जबरन कब्जा करने की संभावना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, "इस पर बात नहीं करेंगे।" यह विवाद अमेरिकी विदेश नीति में एक नया मोड़ ला सकता है। 2021 की अराजक वापसी के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ न्यूनतम संपर्क रखा था, जो मुख्य रूप से बंधकों की रिहाई तक सीमित था। लेकिन ट्रंप का यह रुख न केवल तालिबान के साथ तनाव बढ़ा सकता है, बल्कि चीन और क्षेत्रीय शक्तियों जैसे रूस व पाकिस्तान को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बगराम पर फिर से कब्जा करना "पुनः आक्रमण" जैसा लग सकता है, जो अमेरिकी जनमत के खिलाफ हो सकता है। अफगानिस्तान में अमेरिकी वापसी के चार साल बाद यह घटना पुरानी घावों को फिर से कुरेद रही है। ट्रंप ने बाइडेन की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी योजना में बगराम को मजबूती के साथ छोड़ा जाता। अब सवाल यह है कि क्या यह धमकी केवल बयानबाजी है या वास्तविक सैन्य कार्रवाई की शुरुआत? तालिबान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी इसकी दिशा तय करेगी।