Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Monday, 22 September 2025

ट्रंप की दोहरी नीति: चाबहार पोर्ट पर छूट खत्म कर अमेरिका ने पाकिस्तान-चीन को दिया फायदा

ट्रंप की दोहरी नीति: चाबहार पोर्ट पर छूट खत्म कर अमेरिका ने पाकिस्तान-चीन को दिया फायदा
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां एक बार फिर भारत के लिए चुनौती बन रही हैं। एक तरफ वे भारत को मजबूत साझेदार बताते हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे फैसले लेते हैं जो भारत की रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। ताजा घटना ईरान के चाबहार पोर्ट से जुड़ी है, जहां अमेरिका ने भारत को दी गई प्रतिबंध छूट को रद्द कर दिया है। यह कदम न केवल भारत के 500 मिलियन डॉलर के निवेश को खतरे में डाल रहा है, बल्कि पाकिस्तान और चीन को सीधा लाभ पहुंचा रहा है। चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पोर्ट पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापारिक पहुंच प्रदान करता है। 2003 में भारत ने इस पोर्ट के विकास का प्रस्ताव रखा था, ताकि अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से माल को तेजी से पहुंचाया जा सके। 2016 से भारत ने इस परियोजना में भारी निवेश किया है, जिसमें 120 मिलियन डॉलर से अधिक का खर्च शामिल है। 2018 में ट्रंप प्रशासन ने ही ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत भारत को विशेष छूट दी थी, जिससे भारतीय कंपनियां बिना अमेरिकी प्रतिबंधों के पोर्ट का संचालन कर सकें। लेकिन अब, 29 सितंबर 2025 से प्रभावी इस छूट को रद्द कर दिया गया है। 

पाकिस्तान और चीन को मिलेगा बड़ा लाभ यह अमेरिकी फैसला पाकिस्तान और चीन के हित में जाता है। चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का सीधा प्रतिद्वंद्वी है, जिसे चीन अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत विकसित कर रहा है। ग्वादर से मात्र 140 किलोमीटर दूर स्थित चाबहार भारत को अरब सागर में चीन की बढ़ती पकड़ का मुकाबला करने में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, छूट रद्द होने से चाबहार का विस्तार रुक जाएगा, जिससे ग्वादर मजबूत हो जाएगा। रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की है कि ट्रंप की नीति भारत को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा, "ट्रंप की 'आर्ट ऑफ द डील' में चापलूसी है, लेकिन वास्तव में यह लोहे की मुट्ठी में मखमल की परत है।" यह कदम चीन को क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाने का मौका देगा, जबकि भारत का अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भेजने का रास्ता जटिल हो जाएगा। अब तक चाबहार के माध्यम से भारत ने अफगानिस्तान को 25 लाख टन गेहूं और 2,000 टन दालें भेजी हैं। 

भारतीय कंपनियों पर बढ़ेगी मुश्किल भारत की सरकारी कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार के शहीद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन कर रही है। 2024 में 10 साल का दीर्घकालिक अनुबंध साइन किया गया था, जिसमें 120 मिलियन डॉलर का निवेश और 250 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त क्रेडिट शामिल है। छूट रद्द होने से अब ये कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आ सकती हैं, जिससे परियोजना की लागत बढ़ेगी और संचालन बाधित होगा। पोर्ट की क्षमता को 1 लाख से 5 लाख टीईयू (ट्वेंटी फुट इक्विवेलेंट यूनिट) तक बढ़ाने की योजना 2026 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब यह मुश्किल लग रही है। 

ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का असर ट्रंप अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हैं और उन्हें 'महान नेता' कहते हैं, लेकिन उनकी नीतियां 'अमेरिका फर्स्ट' पर आधारित हैं। रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंधों में भारत को निशाना बनाना और अब चाबहार पर छूट रद्द करना इसी का उदाहरण है। इससे पहले, जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, तो भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का परिचय देते हुए शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में हिस्सा लिया। ट्रंप को तब कहना पड़ा कि उन्होंने भारत-रूस को चीन के हाथों गंवा दिया। यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर रही है, खासकर तब जब दोनों देश व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब ईरान और अन्य साझेदारों के साथ कूटनीतिक प्रयास तेज करने होंगे। चाबहार न केवल व्यापारिक केंद्र है, बल्कि भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा भी। यदि यह परियोजना पटरी से उतरती है, तो भारत को वैकल्पिक मार्ग तलाशने पड़ेंगे, जो समय और संसाधनों की बर्बादी होगी। कुल मिलाकर, ट्रंप का यह फैसला भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति को झटका देगा और चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को मजबूती प्रदान करेगा।