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Sunday, 14 September 2025

बंधकों की रिहाई में नेतन्याहू सबसे बड़ी बाधा: इसराइली नागरिकों में बढ़ता असंतोष

बंधकों की रिहाई में नेतन्याहू सबसे बड़ी बाधा: इसराइली नागरिकों में बढ़ता असंतोष
हमास के कब्जे में मौजूद इसराइली बंधकों के परिजनों और समर्थकों ने प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू पर बंधकों की रिहाई और शांति समझौते में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया है। होस्टेजेज़ और मिसिंग फ़ैमिलीज़ फ़ोरम ने सोशल मीडिया पर कहा, “पिछले हफ्ते क़तर की राजधानी दोहा में इसराइली हमला इस बात का सबूत है कि जब भी कोई समझौता नज़दीक आता है, नेतन्याहू उसे बिगाड़ देते हैं।” यह विवाद मंगलवार को दोहा में इसराइली हवाई हमले के बाद भड़का, जिसमें हमास के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया गया। हमास ने दावा किया कि इस हमले में उसके पांच सदस्यों और एक क़तरी सुरक्षा अधिकारी की मौत हुई। इस हमले ने न केवल क्षेत्रीय तनाव बढ़ाया है, बल्कि इसराइल में नेतन्याहू के खिलाफ जन असंतोष को भी हवा दी है। शनिवार को नेतन्याहू ने इस हमले का बचाव करते हुए कहा कि यह “हमास के नेताओं को खत्म करने और बंधकों की रिहाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” था। उन्होंने दावा किया कि यह कार्रवाई युद्ध को समाप्त करने और बंधकों को वापस लाने की राह में प्रमुख अड़चन को दूर करेगी। हालांकि, बंधकों के परिजनों और कई इसराइली नागरिकों का मानना है कि यह हमला शांति वार्ता को और जटिल करेगा। 7 अक्टूबर 2023 को ग़ज़ा में हमास के हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बनाया गया था। इनमें से कई बंधक अभी भी हमास की कैद में हैं, और उनकी रिहाई के लिए चल रही बातचीत बार-बार बाधित हो रही है। बंधकों के परिजनों का कहना है कि नेतन्याहू की नीतियां उनकी सुरक्षित वापसी को खतरे में डाल रही हैं। इसराइल में नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ता असंतोष नेपाल में हाल ही में हुए जन आंदोलन से तुलना की जा रही है, जहां भ्रष्टाचार और नीतिगत असफलताओं के खिलाफ जनता ने सड़कों पर उतरकर सरकार को उखाड़ फेंका। क्या इसराइली नागरिक भी ऐसा ही कदम उठाने को तैयार हैं? तेल अवीव और यरुशलम में छोटे-मोटे विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, जहां लोग बंधकों की रिहाई और नेतन्याहू की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। हालांकि, नेपाल जैसी व्यापक क्रांति की स्थिति अभी इसराइल में नहीं दिख रही है, लेकिन जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नेतन्याहू की रणनीति, जिसमें सैन्य कार्रवाई को प्राथमिकता दी जा रही है, शांति वार्ता को कमज़ोर कर सकती है और इसराइल के आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर दबाव बढ़ा सकती है। क़तर और अन्य मध्यस्थ देशों ने इस हमले की निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से युद्धविराम की दिशा में काम करने की अपील की है।

एस,ब,नायाणी