भारत की जनता पिछले आठ सालों से सरकार के “गब्बर सिंह टैक्स” (GST) की मार झेल रही है। कांग्रेस द्वारा लागू किए गए सरल और कुशल GST के बजाय, मौजूदा सरकार ने 9 अलग-अलग स्लैब्स के साथ जटिल कर प्रणाली थोप दी।
इस दौरान, ₹55 लाख करोड़ से अधिक की वसूली की गई, जिसमें जनता की रोजमर्रा की जरूरतों—दाल, चावल, अनाज, पेंसिल, किताबें, इलाज, और यहाँ तक कि किसानों के ट्रैक्टर—को भी नहीं बख्शा गया।
अब सरकार ₹2.5 लाख करोड़ के “बचत उत्सव” की बात कर रही है, जो जनता के गहरे जख्मों पर मामूली बैंड-एड लगाने जैसा है। यह “उत्सव” उन लोगों के लिए एक तमाचा है, जिन्होंने GST की भारी-भरकम बोझ तले अपनी जिंदगी को संतुलित करने की कोशिश की। जनता यह कभी नहीं भूलेगी कि उनकी बुनियादी जरूरतों पर भी कर का बोझ लादा गया। ऐसे में, सरकार को इस लूट के लिए जनता से माफी माँगनी चाहिए।
“बचत उत्सव” जैसे दिखावटी कदमों से जनता का विश्वास नहीं जीता जा सकता। यह समय है जवाबदेही और पारदर्शिता का, न कि खोखले वादों का।