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Sunday, 12 October 2025

दमोह में जातिवादी जहर: दलित युवक को पैर धोकर गंदा पानी पीने की सजा, 5100 रुपये का जुर्माना – मानवता शर्मसार!

दमोह में जातिवादी जहर: दलित युवक को पैर धोकर गंदा पानी पीने की सजा, 5100 रुपये का जुर्माना – मानवता शर्मसार!
तस्वीर दैनिक जागरण 
दमोह, 12 अक्टूबर 2025:

 मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पटेरा ब्लॉक स्थित सतरिया गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो न केवल स्थानीय समुदाय को बल्कि पूरे देश को झकझोर रही है। यहां एक दलित युवक को सोशल मीडिया पर एक मीम शेयर करने की 'सजा' के रूप में स्वर्ण युवक के पैर धोने और उसी गंदे पानी को 'चरणामृत' मानकर पीने के लिए मजबूर किया गया। इसके साथ ही, पंचायत ने उस पर 5100 रुपये का जुर्माना भी ठोंका। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पीड़ित युवक ने खुलकर अपनी आपबीती बयां की, जिससे जातिवादी मानसिकता का काला चेहरा एक बार फिर उजागर हो गया। 

घटना की पृष्ठभूमि: एक मीम से भड़का विवाद सूत्रों के अनुसार, विवाद की शुरुआत गांव में शराबबंदी उल्लंघन से हुई। ग्राम सतरिया में शराब पर प्रतिबंध होने के बावजूद स्वर्ण समुदाय के युवक अनुज उर्फ अन्नू पांडे को शराब बेचने और पीने के आरोप में पकड़ा गया था। पंचायत ने अन्नू पर 2100 रुपये का जुर्माना लगाया। इसी घटना का मजाक उड़ाते हुए कुशवाहा समुदाय के दलित युवक पुरुषोत्तम कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर एक एआई-जनरेटेड मीम पोस्ट कर दिया। इस मीम में अन्नू को जूते की माला पहनाए हुए दिखाया गया था, जिसे ऐक समुदाय ने अपमानजनक माना। मीम वायरल होते ही गांव में तनाव फैल गया। ऐक समुदाय के कुछ लोगों ने इसे जातिगत अपमान का रूप देकर पुरुषोत्तम पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप, गांव की अनौपचारिक पंचायत बुलाई गई, जहां पुरुषोत्तम को अपमानित करने वाली 'सजा' सुनाई गई। पंचायत के सदस्यों के दबाव में पुरुषोत्तम को अन्नू पांडे के पैर धोने पड़े। इसके बाद, उसी गंदे पानी को 'चरणामृत' बताकर पीने को मजबूर किया गया। पूरी प्रक्रिया का वीडियो बनाया गया, जो बाद में सोशल मीडिया पर लीक हो गया। 

पीड़ित का दर्द: 'मुझे मजबूर किया गया, अब न्याय चाहिए' वीडियो वायरल होने के बाद पुरुषोत्तम कुशवाहा ने मीडिया के सामने आकर अपनी व्यथा बयां की। उन्होंने कहा, "मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक मजाकिया पोस्ट मेरी जिंदगी को इतना अपमानित कर देगी। मनुवादी विचारधारा के लोगों ने मुझे घेर लिया और पैर धोने के बाद वही गंदा पानी पीने को कहा। इसके अलावा, 5100 रुपये का जुर्माना भी वसूला गया। मैं डर गया था, इसलिए चुप रहा, लेकिन अब मैं न्याय मांगता हूं।" पुरुषोत्तम ने यह भी बताया कि अन्नू पांडे उनके गुरु-शिष्य संबंध के कारण हैं, लेकिन दबाव में यह सब हुआ। यह घटना न केवल पुरुषोत्तम के लिए बल्कि पूरे दलित समुदाय के लिए एक चेतावनी है। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इसे 'जातिवाद का जहर' बताते हुए निंदा की है। कांग्रेस सेवादल जैसे संगठनों ने वीडियो शेयर करते हुए इसे 'नए भारत' की विडंबना करार दिया। 

पुलिस कार्रवाई: 6 पर FIR, लेकिन सवाल बाकी घटना के वायरल वीडियो के बाद दमोह पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। अनुज पांडे सहित 6 लोगों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसपी दमोह ने कहा, "हम जांच कर रहे हैं और दोषियों को सजा दिलाएंगे।" हालांकि, पीड़ित पक्ष का कहना है कि पंचायत के अन्य सदस्यों को अभी तक नामजद नहीं किया गया है। 

 व्यापक प्रभाव: जातिवाद के खिलाफ जंग यह घटना मध्य प्रदेश में व्याप्त जातिगत तनाव को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर मीम्स और जोक्स अक्सर जातिगत पूर्वाग्रहों को भड़काते हैं, लेकिन ऐसी 'सजाएं' संविधान की भावना के विरुद्ध हैं। मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने इसकी निंदा करते हुए सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की है। सतरिया गांव में अब शांति है, लेकिन घाव गहरे हैं। पुरुषोत्तम जैसे युवाओं को न्याय मिलना चाहिए, ताकि 'समानता' का संदेश सच्चा हो सके। क्या यह घटना जातिवाद के खिलाफ एक नई जंग की शुरुआत होगी? समय ही बताएगा।