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Wednesday, 15 February 2023

फ्रांस में नेटो विरोधी प्रदर्शन जनता आई चडको पर जमकर हुआ विरोध प्रदर्शन

फ्रांस में नेटो विरोधी प्रदर्शन जनता आई चडको पर जमकर हुआ विरोध प्रदर्शन
फ्रांस की राजधानी सहित इस देश के कई नगरों में नेटो विरोधी प्रदर्शन हुए हैं।

फ्रांस की Les Patriotes पार्टी के हज़ारों समर्थकों ने पेरिस में एकत्रित होकर इस देश से नेटो की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है।  इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले  Les Patriotes के नेता  Florian Philippot ने बताया है कि पेरिस में होने वाले इस प्रदर्शन के अतिरिक्त 25 अन्य स्थानों पर भी इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन किये गए। 

नेटो में फ्रांस की सदस्यता की समाप्ति की मांग करने वालों के हाथों में जो प्लेकार्ड्स थे उनपर युद्ध विरोधी नारे लिखे हुए थे।  कुछ प्लेकार्ड्स हाथों में लिए प्रदर्शनकारी यह नारे लगा रहे थे, "नेटो से निकलो"  "यूक्रेन के लिए न हवाई जहाज़, न टैंक और न ही मिसाइल" मैक्रां हमें तुम्हारा युद्ध नहीं चाहिए आदि।  इस विरोध प्रदर्शन में फ्लोरियन फिलिपाॅट ने प्रदर्शनकारियों के सामने नेटो के झंडे को क़ैची से काट दिया।  उन्होंने कहा कि नेटो का अर्थ है युद्ध।  वे यूक्रेन के लिए फ्रांस की ओर से भेजे जाने वाले हथियारों का भी विरोध करते आ रहे हैं। 

एसा लगता है कि यह प्रदर्शन, रूस को लेकर फ्रांस की सरकार की कड़ी नीतियों को लेकर भी हो रहे हैं क्योंकि रूस पर कड़े प्रतिबंधों के बाद से फ्रांसीसी जनता को इसके आर्थिक दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।  यूक्रेन युद्ध आरंभ होने के बाद फ्रांस ने रूस के विरुद्ध बने पश्चिमी मोर्चे में सक्रिय भूमिका निभाई।  उसने रूस पर लगे वाले पश्चिमी प्रतिबंधों में अमरीका और पश्चिमी देशों का साथ दिया।  अभी हाल ही में मैक्रां ने यूक्रेन, जर्मनी और फ्रांस की त्रिपक्षीय बैठक की अगुवाई की थी।   इसका उद्देश्य यूक्रेन का अधिक से अधिक समर्थन करना था।  यूक्रेन को हथियार भेजने में फ्रांस आरंभ से भी आगे रहा है। 

यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में फ्रांस के राष्ट्रपति रूस के विरुद्ध बहुत अहम भूमिका निभाना चाहते हैं।  हालांकि मैक्रां की इस भूमिका का ख़ामयाज़ा, फ्रांस के लोगों को बढ़ती मंहगाई और ऊर्जा की कमी के रूप में भुगतना पड़ रहा है।  वैसे यूक्रेन युद्ध को लेकर यूरोपीय देश की नीतियों का विरोध केवल फ्रांस तक सीमित नहीं है बल्कि एसा कई यूरोपीय देशों में हो रहा है जिनमें से एक जर्मनी भी है।  यूक्रेन को टैंक और हथियार भेजने पर जर्मनी सरकार के फैसले के विरोध में वहां पर हज़ारों लोग सड़कों पर निकल आए।  प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पश्चिम की नीतियों के कारण नेटो और रूस में टकराव की स्थति बढ़ती जा रही है। 

यूरोपीय देशों की जनता नहीं चाहती है कि यूक्रेन को लेकर कोई एसा संकट सामने आए जिसका भुगतान इस पूरे महाद्वीप को करना पड़े।  वास्तव में नेटो, अमरीका के पदचिन्हों पर चलते हुए रूस का विरोध कर रहा है।  नेटो के महासचिव का दृष्टिकोण अमरीकी दृष्टिकोण से बहुत निकट है।  यही कारण है कि वे हमेशा ही यह कहते आए हैं कि रूस के साथ कड़ाई से निबटा जाए।