देश के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई महाराष्ट्र के दौरे पर गए थे। इस दौरान प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ, उनके स्वागत के लिए मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस आयुक्त जैसे अधिकारी नहीं पहुंचे, जिसके कारण उन्होंने चिंता व्यक्त की है। दूसरी ओर, इस मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिंता जताते हुए प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैंने भी ऐसी परेशानी झेली है। कई बार आप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें देखते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति की तस्वीरें नहीं देखते।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रोटोकॉल मूलभूत है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'मुझे देश के मुख्य न्यायाधीश के प्रोटोकॉल मामले की जानकारी मिली है, जो बहुत ही चिंताजनक है। CJI ने इस मामले को सामने लाया है। वे यह मुद्दा अपने लिए नहीं, बल्कि उस पद के लिए उठा रहे हैं, जिस पर वे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रोटोकॉल मूलभूत है। कई बार मुझे भी ऐसी परेशानियां हुई हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरें आती हैं, लेकिन मेरी नहीं। CJI का यह व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि देश के मुख्य न्यायाधीश के पद का है।'
हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए: धनखड़
उन्होंने आगे कहा, 'न्यायपालिका की रक्षा करने की जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे न्यायाधीश निडर होकर निर्णय लेने के कारण कमजोर न पड़ें। वे सबसे कठिन काम करते हैं। वे कई शक्तियों का सामना करते हैं। वे ऐसे लोगों से निपटते हैं, जिनके पास अपार आर्थिक शक्ति और संस्थागत सत्ता है, इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए। हमें अपनी व्यवस्था को विकसित करना चाहिए।'
अधिकारियों के अनुपस्थित रहने से CJI नाराज
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश गवई के सम्मान में महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल द्वारा रविवार (18 मई) को एक समारोह का आयोजन किया गया था। इस दौरान महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी अनुपस्थित रहे, जिससे CJI ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र के तीनों स्तंभ- न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका समान हैं। संविधान के हर हिस्से में एक-दूसरे के प्रति सम्मान होना चाहिए। अगर देश का मुख्य न्यायाधीश पहली बार महाराष्ट्र के दौरे पर आ रहा है और राज्य का मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त वहां उपस्थित रहना उचित नहीं समझते, तो उन्हें इस पर विचार करने की जरूरत है। प्रोटोकॉल में कुछ नया नहीं है। यह एक संवैधानिक संस्था द्वारा दूसरी संवैधानिक संस्था के प्रति सम्मान का विषय है।'